वैदान्त छन्दावली | vaidant chhadavali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
455
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी भोले बाबा - Svami Bhole Baba
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पेदान्त छन्दडावली - १४
मकण
सुख से विचर |
(१)
किव्स्थ हु. श्रद्त हु, में बोध हू मैं नित्य है ।
सक्षय तथा निर्संग श्रात्मा, एक शाश्वत सत्य हु ॥
महि देह हूं, नहिं इन्द्ियाँ हुँ,स्वच्छ से भी स्वच्छतर 1
एसो किया कर भावना, नि.शोक हो सुख से विचर ॥
( म
में देह हू” फाँसी महा, ६ इस पास मे जकडा गया |
चिरकाल तक्र फिरता रहा जन्मा किशरा फिर मर गया ॥
मे बोध हू ज्ञानास्त्र ले श्रज्ञान का दे काट सर।
श्वछन्द हो, निद्रन्दर हो, भ्रानन्द कर सुख से विचर ॥
निष्क्रिय सदा निस्सग त नही भोक्ता नही ।
निभय निरञ्जन है ग्रचल, ' श्राता नहो जाता नही ॥
भृत राग कर मत द्रे षकरर, चिन्ता रहित हयो जा निडर।
राशा किसी की व्यो करे, संतप्त हो सुख से .विचर !।
र्ट
धह विव तुभसे श ८ तु विर्वमें भरपूर है।
हू वार है, तू पार है, तू पास है तु दूर है ॥
उत्तर तुही दक्षिण तृहदी, तु हे इधर तू है उधर )
दै त्याग मनकी क्षुद्रता, निशेक हो सुख से विचर, 1]
( १४५ )
User Reviews
No Reviews | Add Yours...