जीवंधर चरित्र | Jeevandhar Charitra
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
पं. नत्थमल बिलाला - Pt. Natthmal Bilala,
लालचन्द्र जैन - Lalchandra Jain,
शुभचन्द्राचार्य - Shubchandracharya
लालचन्द्र जैन - Lalchandra Jain,
शुभचन्द्राचार्य - Shubchandracharya
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पं. नत्थमल बिलाला - Pt. Natthmal Bilala
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लालचन्द्र जैन - Lalchandra Jain
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शुभचन्द्राचार्य - Shubchandracharya
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७)
सबेया २३
कामिनि ढोलत हैं दसहूँ दिस नेवर घोर मचावन लागे ।
गावत ह मधुरे खुर सो पुनि कान क॑ ललचावन लागे ॥
शीत सुगंध समीर बहे तन लागत खेद बचावन लागे ।
फिर बन वीथिन भँ तिन देखत ही मन मोहन लागे ॥
॥ दाहा ॥
तिन नगरनि के निकट ही, परी धान्य की राशि ।
शोभित है गिरबर किथौं, करत देव तेह बास ॥
अडिल्ल
दोई ग्राम आराम नगर पत्तन किष ।
पवत शिखर मंभार महल पंकति लखे ॥
रौर ठीर जिनभवन अधिक शोभा धरे ।
ध्वजा शिखर फहराय लखत सुर मन हरे ॥
तहाँ मनोह सरवर निरमल जलसूं भरे ।
किधों संत पुरुषन के मन देंगे खरे ॥
तामें लघत सरोज श्रमर गुंजत फिरें ।
करे कलि नर नारि खेद तन के हरे ॥
दौर दौर उपवन सोह जु सुहावने ।
किथौं जियन के गुण राजत भन भावने ॥
उपजावत दँ काम कमल पग एग विषै।
फल लन कर भरे इृक्ष लूमत लम ॥
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