बौध्द दर्शन | Baudhda Drarshan

Baudhda Drarshan by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बोद्ध दशन प्रथम ध्याय गौतम बुद्ध ८ ५६३-४८३ ई० पू० ) दो सदियों तक्के भारतीय दाशेनिक दिमागोके जवदंस्न प्रमासका ग्रन्तिम फल हमें वुद्धके दशलैन--श्नणिक ्रनात्मवाद--के रूपमे मिलता ट । प्रागे हम देखेगे कि भारतीय दशेनधाराग्रोमं जिसने काफी समय तक नई गवेषणाग्रोको जारी रहने दिया, वह्‌ यदी धारा थी ।--नागा- जुन, श्रसंग, वसूवंधु, दिङ्नाग, धमं कीति,--भारतके ्रप्रतिम दार्शनिक इसी धाराम पदा हुए थे । उन्टीके ही उच्छिष्ट-भोजी पीके प्रायः सारे ही दूसरे भारतीय दाशेनिकं दिखलारई पडते टे । १, जीवनी सिद्धाथं गौतमका जन्म ४६३ ई० पूणक प्रासपास हूग्रा था। उनकं पिता रुद्धोदनको शाक्योका राजा कहा जाताद्‌, किन्तु हम जानते ह कि शुद्धोदनके साथ-साथ मर्दिय' ग्रौर दण्डपाणिको भी जाक्योका राजा कहा गया; जिससे यही श्रथं निकलता टं कि शाक्यीके प्रजातंत्रकी गण-संस्था (--सीनेट या पालमिंट )के सदस्योका लिच्छविगणकी भाँति राजा कहा जाता था। सिद्धाथंकीमां मायदेवी श्रपनेमेकेजा रही थी, ` चुल्लवग्ग (विनय-पिटक) ७, (“बुद्धचर्या', प° ६०) ` मज्मिनिकाय-श्रहुकथा, १।२।८




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