सरदार वल्लभभाई पटेल | Saradaar Vallabh Bhaaii Patel

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Book Image : सरदार वल्लभभाई पटेल  - Saradaar Vallabh Bhaaii Patel

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ ) काम कर दिया । सरकारी पक्त पर वल्लभ भाई की यह पहिली विजय थी) खेडा सत्याग्रह मं गान्धी जी चम्पारन का काम खत्म करके जप श्रहमदावादं वापस शमाये, तोषे यदहदेख करदंग रह गये, फिञो बल्ज्म भाई गान्धी जी कौ बातों का सव से ज्यादा शजाक बनाते थे, चह्दी अब उनकी बातों को सब से ज्यादा ध्यानपूर्वक सुनते है । कुछ दिन घाद ही खेड़। में सत्याग्रह करने का विचार हुआ, क्योंकि अकाज्ञ पड़ जाने के कारण वहाँ की प्रजा इस लायक नहीं थी कि लगन खदा षर सके ओर सरकार पूरा लगान वसूल करलेना चाष्टती थी । एक दिन गान्वी जी ने अहमदाव्राद्‌ मं अपने मित्रों से इसकी चचां करते हुए पूछा कि मरे साथ खेडा जाने के लिये कौन-कौन तय्यार दहै; तो सव से पिता नाम वल्लभ भाई ने दिया । गान्वी जी भी ऐसे दृढ़ साथी को पाकर घन्य हो गये और वल्ज्म भाई ने बड़ा कठोर परिश्रम किया। गान्धी जी ने जब सत्याग्रह का ऐलान किया, तो वल्लभ भाई खेड़ा प्रान्त के झाम-आ्राम घूमे । वस्त्भ भाई की पिछली जिंदगी देखते ए कोड यह सोच भी नही सकता था, कि दिन-रात मौज-शौक में इवा रहने वालं अटमदाबाद्‌ का.यह सव से वड़ा व्र रिस्टर एक दिन गांव-गांव में पैदल 'घुमता हुआ भी दिखाई दे सकता है । बद्लम भाई के इस दोरे का यह असर हुआ कि तमाम इलाके के किसान कमर बाँध कर उठ खड़े हुए । सरकार को भी श्चन्त मं मुकना ही पड़ा श्रोर हजारो किसानां की सुती वते इससे दृर हो गर्द । उस दिन से गान्धी जी के श्रादर्शोके अनुसार ही वल्लभ भाई अपना जीवन व्यतीत करने लगे और श्र 315 होअनुसार चल रहे हैं ।




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