पुरुषार्थ सिद्युपाय | Purusarth Sidhyupai

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Purusarth Sidhyupai  by श्री क्षुल्लक निजानन्द जी - Sri Kshullak Nijanand Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है। समुचित सुन्दर सतुश्रुत के इस नये अवतार का समादरपूर्वेक स्वागत करते हुए आज प्रसन्नता का ही अनुभव हो रहा है । शमाज में भी इसका स्वागत ही होगा । मेरा अहोभाग्य रहा है कि पू० क्षुस्लक जी के निष्छल पवित्र जीवनी को गौर धरमेंप्रवण प्रवृत्तियो को निकट से बाहुबली (कुम्भो ज) मे देखने को मिला । आपके निरपेक्ष वात्सल्य भावो की अविरत वर्षा होती रही जिसके लिए आपका कृतज्ञ हूँ । आपका आदेश तो इस ग्रन्थ की प्रस्तावना का धा, परन्तु महाव्रत सदृश आदेश की पालना शक्ति और बुद्धि से परे थी, इसलिए यह सक्षिप्त 'पुरोवाक्‌' लिख दिया है । महावीर ब्रह्मचर्याश्रम, मार्णिकचरद अयकुमार अबर कारजा-ब्४४१०५ १८ अक्तूबर १६०९ (कार्तिक बदी ४, वीर सवत्‌ २५१५) (म)




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