श्री मथुरेश प्रेमसंहिता की भूमिका | Shree Mathuresh Prem Sanhita Kii Bhumika
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कै . श्रीमंपुरेशेमसंहिंता-मरथमभाग # (३)
॥ तथा कित्तं ॥
कोकिरते .कुजनते. के कचनारनतें राम कामिनीनेतं
निशांक: संरस्योपरे । बैननतें बपुर्ते' विेगनते बैसिनतें
विक्रमते विविध प्रकार दरस्योपर ! वापिनते वनतं अवीर
तरनत. वार्ति वयास हमेरा हरस्योपरे । वृन्दावन वृक्षनते
यद्धरी वितानन्ते जते अजेन्द्रतं बसन्त बरस्योपरे ।
इस व्रजं भूमिकी महिमा बणेन मे नदह आती सत्य कहा है ॥
॥ पद् ॥ | |
ब्रज महिमा अद्भुत अपार जहां ˆ नन्दकुमार बिहार
करत हैं । ढोप' महेश बिशारद नारद अज जाकी रज सीस . .
` धरत है ॥ याकी.धृर तुल्य कोऊ नादी तीरथ सीनंखोक के
माही । द्यामा श्याम किये. शख्वाहीं रसिकन को जहां
दीखपेरत हैं ॥ अङ्खं निरंजन जन्ईूख भजनं सों गोपी
जनकों दंग अंजनें 1 कीडत है. प्रभु कुंज निकुंजन संनरंजन
व्रज. विहरत ह ॥ धन मोवधन धन जमुना. जख धन
बम्दावन धन श्रीगोकुर. | धन मथुरेदा 'हरीजन वत्सर ` `
जेहि सुमिरत भवेग टरत है ॥ ं
सूर्यनारायण का-रथ अभी. हांकाइवा मालूम होता है
उनकी सुनहरी किरनों से श्यामायुमानःउयानके तरवा पर .
चमकं-वमक-नजरः आने छगी है । यह अतिही शुभ समय
ओर ` धन्य ` घडी है इसी आनन्दभ्रद -ओसंर पर.एक इष्ट
महात्मा संत बर्ततकी.वहारंकोः निहारते हृये गिरसंज पवेतकी `
तंखेटी से धीरे धीरे' चले “भारहे हैं और बहुत मीठी आवाज
से. यह ग़ज़छ गारे |} . `
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