प्रेमदीपिका महात्मा अक्षरप्नरनन्य कृत | Premdipika Mahatma Aksharananya Krit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
जो प्रति हम शुद्ध (अथवा अशुद्ध) करके छपवा कर पाठकों
को निवेदन कसते है , वह विक्रम संवत् १९०९ की लिखी हई है ।
लेखक महाशय को न छन्दो का ज्ञान था, न अथं सममतते थे ।
न्थ पौने तीन सौ वषं पिके री बुन्देलखण्डी बोलो मे लिखा
हुआ है। इससे पाठकगण दोषारोपण से पहिले पुरानी बुन्देल-
खण्डी सममने का प्रयत्न करै । हमने बुन्देलखण्ड मे बंदोबस्त का
काम किया है । जहां तक हमारी समभ में आया हमने पाठ शुद्ध
कर दिया है । जहां हम नदीं सममे वहां सक्तिका स्थाने मक्षिका
लिख दी है। पाठ मिलाने के लिये दूसरी प्रति प्राप्त करने में
हमारा प्रयत्न सफल न हुआ । हमारी अवस्था ७८ वर्ष की है ।
कई महीने से आंखें भी कुछ कह रही हैं । छाशा है कि सहद्य
पाठकगण इस भ्न्थ के दोष निकालने में इन बातों का विचार
रखेंगे ।
गं नर ८
अगल य्न, वाण | श्री श्रवधवासी सीताराम
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