प्रेमदीपिका महात्मा अक्षरप्नरनन्य कृत | Premdipika Mahatma Aksharananya Krit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Premdipika Mahatma Aksharananya Krit by राय बहादुर लाला सीताराम - Raay Bahaadur Laala Seetaram

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राय बहादुर लाला सीताराम - Raay Bahaadur Laala Seetaram

Add Infomation AboutRaay Bahaadur Laala Seetaram

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १४ ) जो प्रति हम शुद्ध (अथवा अशुद्ध) करके छपवा कर पाठकों को निवेदन कसते है , वह विक्रम संवत्‌ १९०९ की लिखी हई है । लेखक महाशय को न छन्दो का ज्ञान था, न अथं सममतते थे । न्थ पौने तीन सौ वषं पिके री बुन्देलखण्डी बोलो मे लिखा हुआ है। इससे पाठकगण दोषारोपण से पहिले पुरानी बुन्देल- खण्डी सममने का प्रयत्न करै । हमने बुन्देलखण्ड मे बंदोबस्त का काम किया है । जहां तक हमारी समभ में आया हमने पाठ शुद्ध कर दिया है । जहां हम नदीं सममे वहां सक्तिका स्थाने मक्षिका लिख दी है। पाठ मिलाने के लिये दूसरी प्रति प्राप्त करने में हमारा प्रयत्न सफल न हुआ । हमारी अवस्था ७८ वर्ष की है । कई महीने से आंखें भी कुछ कह रही हैं । छाशा है कि सहद्य पाठकगण इस भ्न्थ के दोष निकालने में इन बातों का विचार रखेंगे । गं नर ८ अगल य्न, वाण | श्री श्रवधवासी सीताराम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now