नव पदार्थ ज्ञानसागर | Nav Padaratha Gyansagar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nav Padaratha Gyansagar by पुप्फ़ जैन भिक्खु - Pupf Jain Bhikkhu

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पुप्फ़ जैन भिक्खु - Pupf Jain Bhikkhu

Add Infomation AboutPupf Jain Bhikkhu

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पुष्ट १४२्‌ १४७ १९८ १४८ १५० १५१ १५१ १५३ 3 ॐ => की >)» ~< 4 ६५८ ^ ^ „^ „^ =^ ~< ~ 0 @ [3 =) पेश ही < + ^< 4 6. नी [0 क नि (1 | की) = (1 दा? =) (1 ज 5१ पंक्ति १५ ९) ९) ४ ७6 ८८ ०८ ^ „^ ९) ८७ © थी ५५ ~ ~ 9 ^) 91१3 ९) ~ ^< हि ९४ [ १३ ] अशुद्ध शुद्ध रहता ? रहता ! और ए०प्प्ााहा8 60608 और भी कार्य करता... भी करता ४ (10010प81688 (1008९10प5706€88. प्रमाणु परमाणु साथ जब साथ उपदास उपवास अकीर्ण आकीण ग्रास लेनेपर ग्रास कम लेनेपर कायाक्टेशा कायक्टेल (१५) अस्रातना (१५) की आसातना अयने विचार कर अयन्त पछतावा करें पछतावा न करें प्रणाम प्रमाण नि परिणाम कारमाणा कार्माण सकत्ता सकता चिपयसक्त विपयासक्त चताई चताया निराङी निराला शरारादि रोगादि




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now