गृहणी भूषन | Grahini Bhusan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पंडित शिव सही चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी नामक गांव में हुआ था | इन्होने कई पुस्तकें लिखीं किन्तु समय के साथ साथ उनमें से कुछ विलुप्त हो गयीं | ये एक अमीर घराने से थे और बचपन से ही कला में रूचि रखते थे |
इनके वंशज आज जबलपुर जिले में रहते हैं और शायद ये भी नहीं जानते कि उनके दादाजी एक अच्छे और प्रसिद्ध लेखक थे | इनके पौत्र डॉ. प्रियांक चतुर्वेदी HIG 5 शिवनगर दमोहनाका जबलपुर में निवास करते हैं |
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(शष्ट); `
म्रीति-पात्र बननेका मुख्य उपाय है,। कुछ भी हो तुम्हें पतिके
मनके अनुकूछ बनना चाहिये । पतिका स्वमाव जैसा हो ख्रीको भी
चेसा दो स्वभाव रखना उचित है। ऐसा किये बिना उसका मन पाना
सअसंमव है । पर तुम यह मत समझना कि यदि स्वामीका स्वभाव
निन्दूनीय और चरित्र दूपित हो, तो पत्नीकों मी अपना ससाव
और चरित्र वैसा ही रखना चाहिये । यदि स्वामीक़ी आदते बुरी
जीर चाट्चटन खरार हो तो जहां तक हो सके उप्तकी आदर्तोका
अर चाटचटन सुधारनेका भ्रयत्न॒ करना चाहिये । क्योंकि
पति-पत्नींमें एक भाव न होनेते उनमें परस्पर विवाद और
चिगाद पैदा हो जानेकी संमावना रहती है । निससे कि पति-पत्नी
दोनों दाम्पत्य सुखसे हाथ घो बैठते हैं । इस्त दिये तुम्हें उचित है कि
किसी चनावटी उपायका सहारा न छेकर तुम्हें स्वार्मीके मनके अनु+
यू बनना चाहिये। दाम्पत्यप्रणयके अनेकशत्रु खियोंके हृदयमें बात
करते हैं; अब इस जगह उनका संसिप्तरीतिसे विवेचन किया
जाता है ।
(१) कुर छियों ऐसी होती हैं कि उन्हें अमिमान बहुत `
प्यारा होता है । वे समझती हैं कि अभिमान न कानेते पतति
नित्य नया आदर पाना कठिन है । अतः वे वात वाते अभिमान
दिसष्य कर संदेव पति से मानकी मरम्मत कराया करती हैं । यद नये
मानक मेम कु शरिटम्व हो ठो उन्हें सर्मान्तिक कट होता है !
और फिर स्वार्माक थोटे दी आद्रको पाकर वे आनन्दे मग्न हो जाती हा
`.“ - यह चढ़ा दोप है। इससे स्वामी संतुए न होकर उल्या
हो नाता है । अमिमानिनी लियाँ सचे सनेहका मुख नहीं क
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