द्वैत वेदान्त का तात्विक अनुशीलन | Dwait Vedant Ka Tatvik Anushilan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानुक्रमणिका प्रथम अध्यायः वेदान्त का उद्भव विकास तथा विविध वेदान्त-सम्प्रदाय पुष्ठ--१३-५८ भारतीय दर्शन की समृद्धि, वेदान्त-पद का अभिवान, वेदान्त को एक ही दर्शन-सम्प्रदाय मानने का हेतु, ईरवर जीव एवं जड़, वेद मे चिन्तन- तत्व का स्वरूप, उपनिपदु साहित्य, संख्या, अभिवान एवं चिन्तन, ब्रह्म सम्बन्धी विचार,गीता की महत्वपूर्ण भूमिका, यो वाशिष्ठ, गौड़पाद एवं उनकी मान्यतायें, ब्रह्मसूत्र विपयक सामग्री, अस्पष्टता अन्य सूत्रकार, राक्र ूर्वेवतीं विचारक, दां कर, प्रमुख अनुवर्ती लेलक, विवरण एवं भामती प्रस्थान ज्ञान, ब्रह्म, ईदवरर, जीवात्मा, भल्ञान, विवतंवाद, जगत, भेदाभेदवाद इतिहास के क्रम में महत्व, काजल, साइित्य, ब्रह्म, जीव, जड़, जगत्‌ ,मोक्ष, साधन रामानुजाचायं, अल्वार सन्तों का स्थान, पूर्व आचायं, समय, साहित्य एवं वडगल सम्प्रदाय, ब्रहम, जीव, जडतत्व, दे गाद्रतमत, समय, पववत लाचा्यं, साहित्य, दर तारं त सम्बन्यी निम्बाकं पूर्वं कतिपय मत ब्रह्म, जीव जगत्‌, बुद्धां तवाद, समय, जीवनी, साहित्य, शिष्य परम्परा, ब्रह्य, जीव जगत्‌, भक्ति, अचिन्त्यभेदाभेद, पृष्ठभूमि उदारता, अभिवान, समय साहित्य एवं शिष्य परम्परा, ब्रह्य, जीव, जगत्‌ भक्ति। द्वितीय अव्यायः द्वैत वेदान्त का उद्भव तथा विकास. पृष्ठ-- ५६-५२ इत-मत भेदवाद का समर्थक सम्प्रदाय, प्राचीन साहित्य का उपयोग वेदमे विष्ण की महत्ता, ब्राह्मण ग्रन्थोंमें दैतात्सक-तत्वों की स्थिति, उपनिपदु का देत.बद्रैतपरक उमयविव विवेचनद्वेतारवतार की द्रेत,परकता, महाभारत की दार्शनिक श्रोत कै रूपमे मघ्व, छृतस्थापना, गीता में हैत, तत्व, पांचरात्र साहित्य, ब्रह्म, सूत्र की पृष्ठभूमि, ब्रह्म, सूत्र की हैत परकता, आददावाद कं प्रारम्भिक प्रतिक्रियाएं, मव्व की जीवनी, मध्व की रचनाएँ, भाषा, मध्वोत्तर विचारक, ऋविकेशतीयं, विप्णतीर्थ, कट्याणदेवी, त्रिविक्रम पण्डित, जीवनी रचनाए, नारायणा पण्डित पद्मनाभती्थ, नरहरितीरथं, अक्षोभ्यतीर्थ, प्राचीन




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