हिन्दू मुस्लिम हिन्दुस्तानी | Hindu Muslim Hindustani

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Hindu Muslim Hindustani by रामकृष्ण - Ramkrishn

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) “हर-हर महादेव” के नारे लगा देने से ही मुसीबत दूर हो जायेगी वास्तव मे यदि राप सुख ओर शांति पूवक, सुरक्षित चौर व्यवस्थित दंग से रहना चाहते है, यदि सचसुच आपको श्राजादी की फिकर है तो इन गुल-गपाड़ो क उपर उठिये और कुछ ठोस ' काम कीजिये | ६ अभी बिल्क़ल दाल की वात है । सै प्रयागसे काशी लौट रहा था । काशी मे २१ घण्टे का कपयृ-खाडरः गा हुआ था, इसलिए यै सीधा रास्ता छोडकर भिजीपुर और मुगलसराय कीं ओर से रवाना हुआ ताकि व्यथं स्टेशन पर पडे-पड़े रास्ता खुलने की मुसीबत न फेलनी पड़े । गाड़ी से भीड़ काफी थी; सारी गाढ़ी से छुल एक छोटा सा डेबढ़े दर्जे का “कम्पाटटेमेरट” था. इसी में तीसरे दर्जे की भीड़ से वचने वाते अनेक लोगों को सफर करना था । खैर, मैं गाड़ी मे झाकर बैठ गया, मै वद्धा संफर मे चातिं कम करता हूँ, कुछ पढ़ने या लिखने में दी समय घीत जाता है । परतु भीड़ इतनी थी, घूप और गर्सी भी इस कदर थी कि पढ़ना- लिखना दूर था । चुप-चाप मन भार कर बैठ रहा । इतने में एक हृप्ट-पुप्ट, सुशिनित, वयस्क श्यीर खादी धारी युवक ने प्रवेशं किया और मेरे सामने बाली पटरी पर आसन जमाया । सफर की डुरावस्था आर रेलवे को कुव्यवस्था से भट बात सरकारी




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