आधुनिक परिवहन | Aadhunik Parivahan

Aadhunik Parivahan by शिवध्यान सिंह चौहान- Shivdhyan Singh Chauhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ैर | झायुनिक' परिवहन दूसरी अवस्था परिवहन दाक्ति के झप्र में उस समय भाती है जब मनुष्य पशुपालन में लग जाता है श्रौर पालतू पुरों का परिवहन के लिए प्रयोग के लगता है। डलिया, टोकरी, थेले इत्यादि जिनमें भर कर वहू बोक ढोता था मद मनुष्य की पीठ से उठकर पुम्नीं की पीठ पर लादे जाने लगे । कुत्ता, बेल, थोड़ा, ३ गधा» रेमडीयर, ऊट श्रौर हाथी इत्यादि पथुग्रों का पुरानी दुनियाँ ओर वुत्त प्रोर सकामा का नई दुनियाँ में प्रयोग परिवहन के क्षेत्र मे महादू गति प्रदान करे वाती (चिन्ता थी । गाड़ियाँ सीचने के लिए पशुन्शक्ति का प्रयोग झाज भी विश्व सर में सोक* संसारम है, किन्तु यात्रिक-दयक्ति का विकास होने के कारण श्ाजकल पथुसों को बहुत से गे कामों से छुट्टी मिल गई है और अब उनवा उपयोग सीमित क्षेत्र में ही होता भी परलिहन-पयुप्रो का पधार उन्हीं क्षोभो मे सम्भव है जहाँ वे पराङृतिक सुविधा क श्रयरलारण पनप सकते हैं अयवा जहाँ पर उनके लिए उपयुक्त चारा उग सकता है। रस ५९ 0 ते हबवों र काद वलि धवो कर से वाहर ४ पनप सक्ता; लामाका क्षेत्र दक्षिणी खोला छरा के हीराज प्रदेश में ही बहुधा सीमित है श्रोर हाथी केवल दक्षिणी एशिया न (अतो में ही उपयोगी है 1 ही समा । मह्‌ ता पडला प्यु या जो परिवहन के तिए प्रयोग मे श्राया । ऋग्वेदिक काल में अधिक बोर अ्रत्य पु के म्तिरिक्त गाड़ियां खीचने के लिए कुत्ते का प्रयोग होता था । ति चाल भेन मार्तोष कुत्ते की ईरान मौर मेसोपोटामिपा में भारी माँग थौ श्रौर उका त निर्यात होता या । इसके चोटे प्राकार श्रौर सीमित शक्ति फ कारण धसका +> ,खन्दी पदेरो मे होता या जहाँ कोई दुसरा उपयोगी पथु नही था । सारे शार्क {. यमे कुत्ता भदितौप परिवहन.पु समम्डा जाता है, क्‍्योक्ति भ्रपने छोटे शरीर « हीर से वर्फ पर चलने के लिए यह विशेष उपयोगी है । {स्विहन-पुगरो भर वेल सम्भवतः सवे श्रधिक्त विस्तृत क्षत्र मे पाय जाता ५... % `ते श्रमेरिका, अफीका, यूरोप झौर एशिया में बेल की कई जंगली नसतें पाई 1 मरौकी विसन (8;०] बेल कभी पालतु पशु नहीं रहा किन्तु यूरोप शाका वेत शस्त युग्मे भी घरेलू पयु था । प्राचीन काल में मंसोपोटामिया त मैलथाडी (0-भगहण) एक सामान्य परिवहन का साधन या 1 श्राज- प्रागर कै चारो ओर यहं वहूवा देखने मे भ्राता दै श्रीर दक्षिणी मरफीका व भगेरिका तक पेत गया है । भारत के प्रामोण क्षेत्रों में बेल ही एकमात्र ल “पु है प्रौर ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह महान उपयोगी है । याक एशिया के ड्री क्ष तो में विशेष उपयोगी पशु है । थोड़ा विस्तृत क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयोग से आया । धोडे का प्रयोग सवारी “और वोभक ले जाने के लिए लोकप्रिय है । रानी ने (8700८) के काल हक साहित्य रेड में केवल घोड़ा ही एकमाव परिवहन-पथु था 1 बह झपनी पीठ पर लगभग खुदाइयो** पॉड बोक ले जा सकता था । उस देश में सबसे पहले रेलें भी घोडो दारा ही लसती थी । भारत के नगरो से इयका-ताँगा खीचते के लिए थोड़े का प्रयोग होता है ! \ त




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