बौद्ध - कालीन भारत | bauddha Kalin Bharat

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bauddha Kalin Bharat  by जनार्दन भट्ट - Janardan Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५ 9) अधिवेदन के लिये कम से कम उपस्थिति या कोरम--गण-पूरक या हिप) पृष्ठ १९० से २०७ ग्यारहर्बो अध्याय प्राचीन बौद्ध काल की सामाजिक अवस्था चार चर्ण--उँच नीच का भाव- समान वण मे विवाह सम्बन्ध-- क्षत्रियों की प्रधानता--क्षत्रिय--श्राह्मण--वैर्य--झाद्--मेगास्थिनीज़ के अनुसार सामाजिक दशा--त्राह्मण अर्थो के अनुसार सामाजिक दशा! पृष्ठ २०८ से २२९ बारहवा अध्याय प्राचीन बौद्ध शाल ढो खांपलिक अवस्था आमो की सांपत्तिक भवस्था-नगरों की सांपत्तिक अवस्था व्यापार ओर वाणिज्य ~-ग्यापारिक मागं~-खमुदरी व्यापार--व्यापारियों में सहयोग । पृष्ठ ररर से २४२ तेरहवाँ झाध्याय प्राचीन बौद्ध काल का खाहित्य भाषा और भक्षर--प्राचीन बौद्ध काल का पाली साहित्य सुत्त-पिटक--पिनय पिटक--अमिधम्म पिटक --भराचीन बौद्ध काल का संस्कृत साहित्य । पृष्ठ ९४३ से २५३ चौदहवां अध्याय प्राचोन बोद्ध काल की शिस्प-कला चतुदेश शिलालेख--दो कलिंग रिलालख--लघु सिल्व- माघ किलरेख--सप्त स्तमरेख--रचघ स्तरभटेख -~-दो तरां स्तंमलख-- तीन गृहालेख । पृष्ठ रा ४ से २६८




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