माखनलाल चतुर्वेदी जीवनी भाग - 1 | Makhan Lal Chaturvedi Jivani Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
472
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका १५
मै किसी एक व्यक्तिकी नीरस जीवनी लिपिबद्ध करे नहीं श्रा गया हँ |
माखनलाल चतु्वें दी के व्यक्तिके रूपमें सुके तो समूचे मध्यप्रदेश की कलात्मक
तपस्याकी नददन्नघागाका ही दिव्य दशन सुलभ हो गया है । वास्तवमें हिन्दी
काव्यने माखनलालको नहीं गढ़ा, मध्यप्रदेशकी जो मी युग-पुरातन श्रौ
शाश्वत सावंजनिक ब्रह्मचर्यकी घारा है, उसीने माखनलालको पोसा है
श्र उसीने उसे इतना बड़ा “साधूक्त' बनाया है !
५
हिन्दीका स्वराज्य और माखनलाल चतुर्वेदी
राष्ट्रके इतिहासमें और उसके जनजीवनमें हमारे यहाँ सबसे अधिक
लोकप्रिय शब्द गमराञ्यः रहा है । लोकजगत्की वैष्णवी नैतिकताने इस
सरस सुपाच्य शब्दका प्रसव किया था । जब देशने स्वतंत्रताकी रणमसेरी
बजाई, तो उसने श्रपने मोहक लक््यके रूपमें इसी रामराज्य शब्दको,
देवमन्दिर रूप, पहलेसे ही खड़ा कर लिया था । पर यह रामराज्य भी
आखिर क्या है ? व्यक्तिके निजी संयम, परिवारोंके निजी संयम और
समाज-समाजके बीच निजी मर्यादाएँ तो हमारे यहाँ श्रबोले-अ्लिखित
विधानके हिंसाबसे जीवित चली श्रा रही है} लेकिन देशका जन-मानस
विगत डद हजार वर्षमिं इन मर्यादाश्रोकी ˆ ..> > -> जीवनक स्वस्थ
सोमं इसलिए नदीं ले सका, क्योकि क्रमशः जीवन राजनीतिक धरातल पर
ऊपर भी उठा, पर उसकी कदय-इष्टिके ऐसे कंगूरोंसे भी घिर गया जहाँ
जोखिम श्रधघिक थी व्यापक तबाहीकी, श्र अस्तित्वके प्रश्न घरती पर पैर
रखनेकी जगह भी हूँढ़े नहीं पा रहे थे । उन क्षणोंमें ऐसे द्रष्टा श्रागे श्रये,
जो राजनीतिक लाभके पिपासु नहीं थे, लेकिन वे मनुष्यकी भावी सन्ततियों के
सुखकी कामना, प्रबलसे प्रबलतम रखते थे--उन्होंने श्रनेक रूपोंमें, श्रनेक
र्थोम॑ सावजनिक ब्रह्मचर्यका विधान रचा, उसकी मज्जल-कामना की
त्रौर उसकी व्याख्याश्ोंको स्पष्टसे स्पष्टतर किया । जन्न वेष्णवघमंकी व्यापक
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