टंकार | Tankar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Tankar by सत्यव्रतसिंह - Satyavratsingh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सत्यव्रतसिंह - Satyavratsingh

Add Infomation AboutSatyavratsingh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
| ख | उनकी कविता मं भाषा का सौन्दयं, छन्दोँका सौन्दय, माधुयं, भले ही कम हो, किन्तु, भाव सौन्दय बहुत अच्छा विखरा है। ऐसा जान पड़ता है जैसे कवि का हृदय देश के हृदय से मिल कर एक हो गया हो । उनकी प्रत्येक कविता, देश काल के साथ चलती हुई दृष्टिगत होती है, जिसमें जीवन है, उत्थान है, श्राशा श्र उत्साह हे । उनकी समस्त कविताओं में “राणा प्रताप के प्रति' उनकी कविता, ्रालम्बन की उक्कृष्टता के कारण, तथा भावाभिव्यक्ति कं कारण, बड़ी ही महत्वपूण है । इस कविता में राणा प्रताप कालु किन्तु सुट्‌ रेखाचित्र अंकित हुआ है । एक करुणा जनक चित्र देखिए-- श्राह ! घास की रोटी खाते, है नन्हे-नन्दे सुङ्मारः; लखकर कोन भला कष सकता, हैँ बेचारे राजकुमार ? किन्तु, आज भी एक श्रज्ञौकिक प्राभा खेल रही मुख पर, किसने पानी केर दिया हे अह ! विचारोंके सुख पर!




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now