विहार दर्पण | Vihar Darpan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जग ये मुजफ्फरपुर, दरभंगा और मुंगेर जिले होकर बहती हुई चौथम के पास तिलयुगा में मिल जाती है । लालबकेया, भुरंगी, . लखनदेई और अधवारा इसकी सहायक नदियाँ हैं । अधवारा को छोटी बागमती भी कहते हैं । तिलयुगा ( घघरी )--यह नदी नेपाल की तराई से निकल- कर दरभंगा, मुंगेर और भागलपुर जिले होकर बहती हुई कोशी नदी में मिल जाती है । बागमती, करेह, ब्रती, बालान, घिमरा, डी दाउस और कटना इसकी सहायक नदियाँ हैं । कटना नदी के द्वारा यह तलवा, परवान, घूसन और लोरन नदियों का जल पाती है । तिलयुगा नदी का आखिरी हिस्सा ही घघरी कहलाता है । कोशी--कोशी प्रान्त की एक सुख्य नदी है । यह नेपाल में सात धाराओं के मेल से बनी है। इस स्थान को सप्तकौशिकी _ कहते हैं। यह भागलपुर और पूर्णिया जिले की सीमा के पास करीब ८ मील तक बहती हुई अन्त में गंगा से मिल गयी है। संगम के पास बी० एन० डब्ल्यू० रेलवे का इसपर एक बड़ा पुल है। यह नदी अपनी धारा बराबर बदलती रहती है । इसकी एक. _........ पुरानी घारा को काला कोशी कहते हैं । कोशी की मुख्य सहायक. एप नदी चघरी हद ही ्ह महानन्दा-महानन्दा या महानदी. दार्जिलिंग जिले की... ......... पहाड़ी से निकलकर पूर्णिया जिले में बहती हुई बंगाल के मालदहद .......... जिले को चली जाती है । डाक; पिटानू: नागर, वालसन; चेंगा, ......... बूढ़ीगंगी, मेची और केकई इसकी सहायक नदियाँ हैं । पूर्णिया. सं डी बहनेवाली पनार नदी पूर्णिया . से बाहर होने पर इससे ' प




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