हिंदी पर्यायों का भाषागत अध्ययन | Hindi Prayayo Ka Bhasagat Adyyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
169
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उ
विषय प्रवेश्ष ७
जिन शब्दों के विभिन्न संगों में एक से लागू होनेवाले अथ॑ समान हों वे
पर्याय हैं।
यह परिभाषा व्यावहारिक नहीं है क्योकि हर दाब्द के सम्बन्ध में यह बतलाना
कठिन है कि शब्द का कितना अथं हर जगह लागू होता है । उदाहरण के लिए बहु
प्रचलित तथा सरल-दब्द 'सुन्दर' लीजिए । दौ ही प्रयोग देखिए--
(१) लड़की सुन्दर है।
(२) बात सुन्दर है।
यह बताना सचमुच असम्भव है कि उक्त दोनों वाक्यों में “सुन्दर' का कितना
अथे सामान्य है।
वेबस्टसं सिनानिम् डिक्शनरी के प्रणेता ने सिनानिम् की परिभाषा उक्त
कोश में इस प्रकार की है।
“इस कोश (बेबस्टसं सिनानिम् डिक्शनरी) में पर्याय शब्द सदा अँगरेजी
भाषा के उन दो या अधिक शब्दों के लिए प्रयक्त होगा जिनके एक से या लगभग
एक से सारभ्त अथंदहो।
उक्त सिनानिम् डिक्शनरी की भूमिका के अन्तगत सारभूत अथं ओर अर्थं
के बीच में रेखा खींचने का जो प्रयास किया गया है वह विचारणीय है। “सारभूत
अर्थो के एक+से होने से यहाँ अर्थोके एकस होने से अभिप्राय नहीं है क्योंकि कुछ
शब्दौ में विवक्षाएँ तो एक सी हो सकती हैं लेकिन फिर भी उन्हें पर्याय नहीं कहा
जा सकता। यहाँ सारभूत अथं का एक-सा होना बहुत कुछ व्याप्त्यार्थ' जैसा
है; जिसे हम अयथोचित रूप से; इनेडिक्वेटिली (3२६१ ८०५८]) एसा
अथं कहू सकते है, जिसके अन्तत सभी महत्त्वपूर्ण विवक्षाएं तो आ जाती हैं फिर
भी जिसे हम ठीक तरह से ऐसा अर्थ कहू सकते हैं जो उसकी परिभाषा से व्यक्त
होता है। व्याप्त्याथें को शब्द की विवक्षाओं के सारांश के अतिरिक्त अपना
शब्द-भेद तथा अथं मे निहित सम्बन्धित विचारों को भी सुचित करना
गेगा ।
प्यथ की सन्तोषजनक कसौटी है--व्याप्त्याथं मे अन्रूपता । यह् अनु-
रूपता क्वचित् इतनी पुणं होती है कि शाब्दो को एक अर्थवाटे कहा जा सके, फिर
१. ए सिनानिम इम दिख डिक्शनरी विर आख्वेज मीन वन आए़ दी टू आर
मोर वडसं इन दी इर्लिक्ष केगषेज विच हैष सेम आर नीयरली दौ सेम मीनिग ।
--वेरष्टसं डिक्शनरी आफ सिनानिम्स; भूमिका प° २७।
२. डनोटेशन के लिए डा० रघुवीर द्वारा सुझाया हुआ शब्द ।
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