जीवन सुधा महिला रोग विज्ञान | Jeevan Sudha Mahila Rog Vigan
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42.41 MB
कुल पष्ठ :
912
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. कुन्तल कुमारी देवी - Dr. Kuntal Kumari Devi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जनवरी फरवरी ऊब कर रात दिन हा हा कार करती रहती हैं और दवाइयों की शीशीयों के सहारे जीवन बिताती हैं नहीं तो मूखे दाइंओं और अनभिज्ञ चिकित्सकों के पंजे में पड़कर धन श्रौर प्राण दोनों ही नप्ठ कर देती हैं. । वैसे हो बन्ध्या रोग से शरीर में उपयुक्त खाद्याभाव बशत चूने की कमी रोग से 0४ सैटीट- 6४ घाते एल एपाता पेसीपसिलाएए तानियानरा है पीड़ित होकर कहां सुचिकित्सा करवाएं वह जाती है स्याना दिवाना योगी सन्यासीयों का पैर पकड़ने मंत्र जंत्र तावीज्ष तिलस्मों से रोग दूर करने । हमारी सामाजिक कुरीतियां चाहे शास्त्रोय दृष्टि सं कितनी ही महत्व पूणण क्यों न हो लेकिन शरीर विज्ञान की दृष्टि से सबंधा निन्दनीय और वर्जनीय हैं । बाल्य बिवाह श्औौर बालिका कन्या का गौना युवती विघवा को ब्रह्मचारी बनाकर रखना प्रकृति विरुद्ध महापाप है लोकिक औओर धार्मिक खयालोत से चाहे हम उनके घारे में कितना ही महत्व पूर्ण व्याख्या क्यों नकर बेठें। इन र्वाजां के कुफल हमें चराबर भुगतने पड़ते हैं लेकिन हमारी आंखें नहीं खुलती । लाखों शिशु और प्रसूनाओओं को अकाल सृत्यु सैकड़ों शीलवती सुकु्माग्यों की वेश्यावांत्त करना हम बुरा नहीं सममतते हैं । झगर हम इन बातों का गस्भीर ध्यान से चिंतिन करते तो कब के हमारे समाज में इन महा- व्याघीयों को दूर भगा देते । वाल-विवाह निरोंध और विधवा-विवाह विधान रूपी आइन क्रानून बनाने के लिए कोड जरूरत नहीं होती जो बातें साधारण ज्ञान में भी समभने को कोई मुश्किल नहीं है इन बातां के लिए फिर क़ानून की भी कया जरूरत है । हमारे देश की लड़कियां गुड़ियों के खेल सं निवटने के पहले हो मां बनकर बैठ जाती हैं। नारो जीवन का मुल्य सिफ़ बच्चा पैदा करने में हो निर्धा- क्र जीवन सुधा के रित है । यदि कोई कारण वश जिनमें ज्यादातर पुरुषों का शारीरीक दोष है यदि कोई खत्री को बच्चा नहीं होता है कहां उसका प्रकृत तथ्य अनुसंधान कर्के चिकित्सा करें घरों घरां में इन अभागिनीओं के ऊपर अकथनीय अत्याचार होता रहता हैं। समय समय पर ऐसी ख्यां जहर भी खाकर इहलोला समाप्त करती हैं । क्या बच्चा नहीं होना ख्री का ऐसा महान अपराध है जो कि उसे उसके पति चर ससुगल वाले सबके स्नेह प्रेम से वंचित कर देता है? स्त्री के सन्तान नहीं होने से बार घार विवाह करने को भी भारतीय पुरुषों का लजा नहीं होती । खियां विधवा रददन को जैस विवश की जाती है झगर पुरुषों को वैसे ही विधुर रहने को मजबूर किया जाता तो विपात्नक पुरुषों की संख्या देखकर लोग घबड़ा जाते और तभी नारी मंगल उपायों को. काम में जान की कोशिश करते । परन्तु यहां नारी जीवन का मूल्य ही क्या है जो कोई इस तरफ़. ध्यान दें । घम शास्त्रों में ब्रह्मचर्य्य के बारें थ जितने उपदेश हैं शायद और किसी विषय पर इतना हो त्रहचारी पुरुष को मर्ययादा देबताओं से भी कम नहीं हैं। उन शास्त्रों को पूज्य मानने वाले हमारे भाईयों को झगर पूछा जाय तो क्या यह कह सकते हैं कि बारह साल की माता झौर पन््द्रह सौल का पित। किस ब्रह्मच्यय घममे का अनुयायी है ? घर घर में उपदंश घातु विकार ऋतु सम्बन्धी रोगां का प्रादुभाव और हर अखबार में सूज़ाक गर्मी नामर्दी की सैकड़ों दवाओं के अचूक विज्ञापनों से हिन्दुस्तान के झाजकल की नैतिक चरित्र का झच्छा पता लग सकता है । बचपनी वही जाने से पूर्व बच्चे के माँ बाप दूर रहा उनको पालन पोषण मनुष्य बनाना किसों क़दर अपनी किस्मत व ज़ोर में वदद दुनियां में पल जाय ता बाप दा्दों कक
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