युद्ध और विजेता | Yuddh Aur Vijeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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युद्ध ओर विनेता १७
युद्ध में भाग लिया तो उसका ५ 'होता था--शांति की
स्थापना । संसार के सभी प्राणी हूँ, एक-दूसरे के
दुखद में सहारा चनें--इसी सदः के आधार पर
मारतीय संस्कृति विदेशियों ढारा पदाक्ात रर जनि के
यावजूद श्रमिट रही । हा, भारत के हर क्षेत्र की अपनी सेनिक
परम्परा एक मूल्यवान मोती के रूप में अक्षुण्ण बनी रही और
आज भी जीवित है ।
' ऐतिहासिक पक्ष
इतिहासकासे के अनुसार अतिष्ठा ओर मिथ्या अभिमान
षै लिए अनेक युद्ध हुए। १९६२ में भारत पर चोनी हमल।
* हिमालय को पथरीली भूमि के लिए नहीं हुआ; क्योंकि मे ते
बहु उपजाऊ हो थी और न हो उसे लेने से चीनी अर्थ-ब्यवस्य
में कौई समृद्धि होनो थी । वस्तुत: घीनियों से अपनी संन्य शत्ति
' की घाक जमाने के लिए अतिक्रमण शिया था ।
यूरोप के देशों का इतिहास बताता है रि प्रासीन काल र
* झब तक सगमय प्रत्येक देश ने सैकड़ों युद्ध लडे हैं। मुद्धों ३
' उपसग्ध आंकड़ों से स्पष्ट नहीं होता कि कौन से देश उग्र '
शौर कौन से शांति-प्रिय ।
सैन्य मनोदस' में बई गुणों का समावेश रहता है। संनिः
1; गदु को मारते, थतरे तथा लाज्मण के समय भयभी
शोकर भागने के अजाप निश्चित इंग से स्पिति जा सामम
2 बरना, ननुनव किए दिना अपने वरश्प्टि सदियों के
५ ए शौर अपने सायियों से यू्णे सहपोप करना शीए?
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