युद्ध और विजेता | Yuddh Aur Vijeta

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Yuddh Aur Vijeta by डॉ. श्याम सिंह शशि - Dr. Shyam Singh Shashi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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`= युद्ध ओर विनेता १७ युद्ध में भाग लिया तो उसका ५ 'होता था--शांति की स्थापना । संसार के सभी प्राणी हूँ, एक-दूसरे के दुखद में सहारा चनें--इसी सदः के आधार पर मारतीय संस्कृति विदेशियों ढारा पदाक्ात रर जनि के यावजूद श्रमिट रही । हा, भारत के हर क्षेत्र की अपनी सेनिक परम्परा एक मूल्यवान मोती के रूप में अक्षुण्ण बनी रही और आज भी जीवित है । ' ऐतिहासिक पक्ष इतिहासकासे के अनुसार अतिष्ठा ओर मिथ्या अभिमान षै लिए अनेक युद्ध हुए। १९६२ में भारत पर चोनी हमल। * हिमालय को पथरीली भूमि के लिए नहीं हुआ; क्योंकि मे ते बहु उपजाऊ हो थी और न हो उसे लेने से चीनी अर्थ-ब्यवस्य में कौई समृद्धि होनो थी । वस्तुत: घीनियों से अपनी संन्य शत्ति ' की घाक जमाने के लिए अतिक्रमण शिया था । यूरोप के देशों का इतिहास बताता है रि प्रासीन काल र * झब तक सगमय प्रत्येक देश ने सैकड़ों युद्ध लडे हैं। मुद्धों ३ ' उपसग्ध आंकड़ों से स्पष्ट नहीं होता कि कौन से देश उग्र ' शौर कौन से शांति-प्रिय । सैन्य मनोदस' में बई गुणों का समावेश रहता है। संनिः 1; गदु को मारते, थतरे तथा लाज्मण के समय भयभी शोकर भागने के अजाप निश्चित इंग से स्पिति जा सामम 2 बरना, ननुनव किए दिना अपने वरश्प्टि सदियों के ५ ए शौर अपने सायियों से यू्णे सहपोप करना शीए? > वि




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