हम हिन्दुस्तानी | Hum Hindustani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९८ हम हिन्दुस्तानी
यह् ` सोचने लगते ह -“बड़ा ग्रलबेला इन्सान है यह ! इसलिए हम
इसी कां साथ देगे, वयोंकि यहं ग्रपना यार.बेली लगताहै 1 `
'मंतलब यह है कि छड़ी उसकी ताकत की निशानी है श्रौर ताकत
चाहे कंसी भी हो, लोग उसके सामने हमेशा सिर मुकातिदै।
` दूसरी निशानी है गुलाब का फूल--जो इस बात को व्यक्त करता
है कि पंडित नेहरू के च रित्र मे एक भीनी-मीनी खुशबू है । एक
बीमा-धीमा खुशगवार रंग है श्रौर एक लस-लस करती हुई नर्मी है ।
श्रयते चरित्र के इस रंग, खुशबू श्रौर नमीं से उसने वड से बड़े शव
को श्रपनी श्रोर भका लिया दै । शायद उसका खयाल है कि इन्सान का
भविष्य गुलाब के पूल की तरह सुन्दर, रेगीन श्रौर श्राकषक है श्रौर
शायद इसीलिए वह् एक श्रादशंवादी है । वह एक सुन्दर सपना देख
रहा है श्रौर काँटों से प्राँखें मूंद कर देख रहा है ! (शायद श्ररस्तु
के 'यूटोपिया' से प्रभावित है) । ऐ परमात्मा / उसके सुन्दर सपने का
परिणाम भी सुन्दर ही निकालना ।
ग्रौर फिर उसका दीर्षासन--जिसके पीछे हिन्दुस्तान. की तपस्या-
फिलासफी भी काम कर रही है । चूंकि वह हिन्दुस्तानी है, इसलिए
वंह लाल मॉर्डन साइंस के गुण गाए, लेकिन लाखों वर्ष पहले का कोई
ऋषि भी उसकी रगो मे मौजूद है,जो अपने श्राप को तकलीफ देकर
श्रात्मिक सुख-शान्त प्राप्त करने के लिए कोरिश करता है । वह रीर्षा-
सन करके श्रपने शरीर श्रौर श्रपने मस्तिष्क की साइंटिफिक तरीके से
रक्षा करता है, लेकिन जब एक साधारण हिन्दुस्तानी यह् सुनता है
कि पंडित नेहरू हर रोज शीर्षासन करता है तो वह उसे एक लाख
वर्ष पुराना ऋषि मालूम देने लगता है, जो सेंकड़ों वर्षों तक एक पेड़ के
नीचे खड़े होकर केवल वायु पर ही गुजारा किया करते थे। फिर
` विष्णु भगवान मजूर होकर उसके पास श्राता था ग्रौर कहता भा--
साँग क्या माँगता है ?' . )ः: ` क १ प्पक हमगे
| हिन्दुस्तान की प्रात्मिक पिलिसफी, व योरप की श्रौद्योगिक
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