धर्मवर्ध्दन ग्रंथावली | Dhramvardhan Granthavali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
63 MB
कुल पष्ठ :
478
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका
' राजस्थान कौ सादहित्य-सम्पत्ति की अभिवृद्धि एव सुरक्षा
मे जेन विद्रानों का योग सदेव स्मरणीय रहेगा । जेन-
विद्वानों का उद्देश्य एकमात्र जनसाधारण में सदूधम का
प्रचार करना एवं ज्ञान की अयोति की प्रकाशमान रखना
रहा है। नस उनको राजा-महाराजाओं का गुणानुवाद
करना था; न हिंसामय युद्ध के ठिए योद्धाओं को उत्त जित
करना था और न श्दगार रस से पूण रचनाओं द्वारा जन-
समाज में कामोत्त जना. फेठाना था । उनका जीवन सदा
से निवृत्ति-प्रधान रहता आया है। अतः सदूधमं-प्रचार के
साथ ही साहित्य का उत्पादन एवं उन्नयन करना उनके
जीवन का अंग बना हुआ दृष्टिगोचर होता है |
जैन विद्वानों ने प्रचुर साहित्य-सामग्री का निर्माण करने
के साथ ही अतिमात्रा में ग्रंथों का संरक्षण भी किया है। इस
कार्य में उन्होंने जेन-अजेन का विचार नहीं किया । जेन भंडारों
` मे समी प्रकार के महत्वपूर्ण अन्धों की अ्रतियां सुरक्षित की जाती
रहीं हैं और उनके अपने छिखे हुए ग्रन्थ भी केवठ जन-घ्म
विषयक ही नहीं हैं । उन्होंने सभी -विषयों के श्रन्थों से अपने.
भंडारों को परिपूर्णं करने के साथ ही स्वयं भी विविध ज्ञान-
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