धर्मवर्ध्दन ग्रंथावली | Dhramvardhan Granthavali

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Dhramvardhan Granthavali by अगरचंद नाहटा - Agarchand Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका ' राजस्थान कौ सादहित्य-सम्पत्ति की अभिवृद्धि एव सुरक्षा मे जेन विद्रानों का योग सदेव स्मरणीय रहेगा । जेन- विद्वानों का उद्देश्य एकमात्र जनसाधारण में सदूधम का प्रचार करना एवं ज्ञान की अयोति की प्रकाशमान रखना रहा है। नस उनको राजा-महाराजाओं का गुणानुवाद करना था; न हिंसामय युद्ध के ठिए योद्धाओं को उत्त जित करना था और न श्दगार रस से पूण रचनाओं द्वारा जन- समाज में कामोत्त जना. फेठाना था । उनका जीवन सदा से निवृत्ति-प्रधान रहता आया है। अतः सदूधमं-प्रचार के साथ ही साहित्य का उत्पादन एवं उन्नयन करना उनके जीवन का अंग बना हुआ दृष्टिगोचर होता है | जैन विद्वानों ने प्रचुर साहित्य-सामग्री का निर्माण करने के साथ ही अतिमात्रा में ग्रंथों का संरक्षण भी किया है। इस कार्य में उन्होंने जेन-अजेन का विचार नहीं किया । जेन भंडारों ` मे समी प्रकार के महत्वपूर्ण अन्धों की अ्रतियां सुरक्षित की जाती रहीं हैं और उनके अपने छिखे हुए ग्रन्थ भी केवठ जन-घ्म विषयक ही नहीं हैं । उन्होंने सभी -विषयों के श्रन्थों से अपने. भंडारों को परिपूर्णं करने के साथ ही स्वयं भी विविध ज्ञान-




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