किस्मत की करामात | Kismata ki Karaamaata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन्घेरेमें जाक्रमण १५
, आक्रमणकासने जोरा करका दिया ओर तीसरे भदमी-
के पंजेसे निकलकर, जी ० श्रान्टके आगे बढ़नेके पहिले ही, अस्घ-
कारमें छिप गया और तेजीसे भागता इभा आलस गोमख
हो गया।
जी० श्रान्टने पहिठे आक्रमणकारीके पीछे भागना चाहा !
उेकिन दूसरे ही झषण उसने समक लिया कि अव् अन्धे
आक्रमणकारीका पता छगाना सम्भव नहीं है। जी० श्राल्टने
देखा कि तीसरा आदमी छुरेका घाव खाकर दिना दिले-डुछे
थड़ा हुआ है ।
गहरा वार पड़नेसे मर न गया हो, इस संशयके साथ जी ०
आन्ट उसपर रुका ! आदमी म्रेनाइटके पेरोंके पास पड़ा हुआ
था, उसने आश्चयं पूवंक देखा कि उसे जरा भी चोट नहीं
खगी |
ओफ ! यह आदमी नहीं, दानव हैं। कितना मजबूत और
बहादुर है। घू घी रोशनीमें जी » श्रान्टने देखा कि वह एक
खास किस्मकी पोशाक पहिने हुए हैं। वह दीवालके सहारे
गढीमें पड़ा हुआ था | एकाएक जी° श्रान्टने देख कि उसके
हाथ भोर सुह काला है, वह विकर काठा निग्नो या निय्रो
जातिके सम्मिश्रणसे पैदा हुआ आदमों है । |
क्या तुम्हे चोर्रुगीदहै? जीण त्रान्टने काले आदमीके
कन्घेपर हाथ रखते ओर उसके चेहरेको गौरसे देखते हुए
पूछा ।
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