बुद्ध - चर्य्या | Buddh - Charyya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
696
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मारतमें बोद्ध-चर्मका डप्तल शोर पतन । 1
खोए पूष-ककड पैदा कर चुके थे। सताथ्दियोंसे अद्धाल राज्यों भौर घटिकोंने अरचा
बदाकर मरसे भौर संदिरोतें अपार चपन्दाशि लमा कर दी थी । इसी समय पश्चिमसे सुसक-
मार्थीबे इमका किया । इन्हे मंदिर भपार-सम्पचिषो ही गी लटा अक्क जाथितं
दिष्य-शरष्िपोके माकिक देब मूतिपोको मौ चकनाचूए कर दिप । ताद्धिकङोय मश्च चडि लौर
दुरभरष्त्का प्रयोप करते ही रह गये किस्तु उससे सुसप्म्साोका कुछ ब दिगदा । तेरदषी
बाहाब्द्दीके शारम्म होते हेते दुरोने समख उत्तरी भारतकों सपने दायम कर फिवा ।
बिहारके पासी रागे राज्य -रस्ताकं किये उदल्तपुरी में पक तांज़िक बिहार बनावा था उसे
सुदम्मद जिस-बक्तिपारबे सिर्फ दो सौ प्रुभसवारोंसे शीत किया ] बालम्दाकी सदूसुत
सिद) चारा टकदे-इ कदे करडे क दी गमौ । थाकंदा सोर विजससिछूके सेकबों वाति
सिल्लु ठकदारके धार डतार दिये गये | बद्पि इस युद्धम सपार जनप्म़ीषहमि हुईं
अपार प्रस्थ-राहि सरमघात् हुई सेक्ों करा कौसलके उत्कृष्ट समूने बशकर दिये गये, तो
मी इससे धुक ऋपदा हुस्य-- कोरगोका दफा व्य हूर पवः
बदल दिलोंस बात चक्की ब्यती दे कि. 'बकिराचापके ही प्रहपते बौद्ध मारतसे
मिक गये । बकरते बोद्धोंकों साखार्थसे दी बई परारत किया. बड्कि उसकी मासे
रा युष्मा लमदिवे इजारों दोद्धाकों समुज्रमे डूबों और तरूबारकें धार उतारकर उषा
संदार किया । बद कपाएं सिफ इस्तकषपाएं हौ नही ठ वरिक दगा सम्बन्य भनम्बुणिरि
षयेर माधबाचाय की “संकर-दिम्विजष ” पुरूकॉंसे दे; इसीफिये संरकठश बिद्वान् तथा दूसरे
सिक्षित शत भी इनपर विना करते दे, इस्दे पुतिदासिक तथ्य समझते हैं । कुछ सोग
इससे के करपर घार्मिक-भसदिप्छुताका कर्क कराता देखकर इसे सावनेसे आावाकानी करते
हैं, किस्तु, पढ़ि बह सत्य दे तो उसका भपकपप न कणा ही जति ई ।
सङगे कषे विचपर्स बिदाद दे। कुछ कोर न्ह विछमका समग्यकीन मालते
हि| ^ ० ऽपय के कर्ता एथ पुराभे दपके पर्डितोंका बादी मत है । लूकिम
इरिष्टप्रश इते गईं मानते । बड़ कइते हैं-- चू कि संकरे पादीरक्-माप्यपर बाचर्पति
मिन्नने “मामती टीका किसी है. और दाचस्पति सिमका समय इंसाझी सी ढातारदी
डबक्ते लपते प़स्कसे दी निशित दै, इसकिपे संकरका समप बर्धी धताध्दीसे पूर्ण तो हो सकता
है किस्तु झंकर कुमारिक-मइसे इचंक अ्दीं दो सकते हैं । कुमारिक बौद्ध मभाविक चसंकर्तिफे
समकर्कीष थे लो सातवीं झताध्दीरमें हुए थे, इसकियं कर सातदीं सताध्दीक पहरूके भी
भहीं दो सकते | बंकर कुमारिकके समकाकीन थे लोर दोगाने पक बूसरेका साक्षात्कार किपा
था बह थात इक “दिग्विशप से माम होती टै । दन्य लन्ठिम बातें लडँ तक उसके
प्रंपोंका सम्बर्भ है कोई पुष्टि बी सिकती । स्वेश् आह ( सातवीं झताप्दी ) के १ किसी
पेचे प्रय बोद्ध बिरीपी शाकार्जी शोर दकार्पीदा पता थीं मिकता। बडि दाता तो
१. “*नासेशोरातुपाराड बोद्धावादु द्धचाककम ।
भर्ति नः स इन्तय्वों सूत्याजिस्वस्वसाम्तुप! था. मायबीच था दि. 11९३
*([ इमारिक ) सइपाइलुसारि-शाजेब सुधल्वला
भर्महिरो बौडा भिलाषः) था. दि डिंडिमटीका ३:९५ है
User Reviews
No Reviews | Add Yours...