प्रतीक द्वैमासिक साहित्य - संकलन | Pratik Dweimasik Sahitya Sankalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एनाँ दानियेदू रेडियो श्रीर आमोफोन रेडियो श्रौर ग्रामोपोन रैकार्डों ये लिए बहुत थोड़े रुमय में सगीन प्रदर्शन करना श्रायर्थक दवा है। श्रौर यद एक नयौ मोग दे जिसके लिए मारतीय सगीतश तैयार नहीं थे । गाने बजाने या श्र नद लेने के लिए ग्रायोशोन रेकार्ट सनसे सुलम श्रौर जनप्रिय साधन मिद्ध हुए हैं। रेडियो मे भी श्रविक सख्या में आमोपोन रैकशार्डों को लोग सुनते ह। पर उनवे लिए; सगीत परिवेशन वो श्रीर भौ खचित करना श्रनिवार्थं होता दै | रणी व्यौ ३१ सेतर मिनटके श्रदरदी वह श्रसवेदा व्एनाप्डतादि तोद तासीर पैदा करे ौर जिसे लोग बास्वार सुनना पसन्द बरें । कुछ साख तरद वी गने बजाने दी चीजे इख मोग पो पूरी कर धतती ह, सैस--गजते, भजन, कुष्ठ चुप! या टैपीर के से यादुनिक गौत। यन समीतदो मी यहर्मोग पूरी करनी पडती टिपर श्रमी इसको सफलता नददीं मिल रुरी दे । क्लाबार नितात श्रसफल रूप से श्रालाप की डच ताने, कयं भले श्रीर तारपरन श्रादि को श्रस्तव्यत्त रूप से टूसकर गागर मे खागर भरने की चेश करता है । यों छिद्धात रूप से मार्ग यन गीत को चुद मिशेष वाश्रोको एक खा दग से रेका क्यया जाना खम दै । मुख्य श्रावदयता यह दे कि चाने का जम टीक रतत जाय गीर षधि ङे श्रतुणार वावसैली शजो काम जिषके बाद श्राना चाहिये, उसी नम के द्वनुछार बाजे को पिमाजित करके रेकाडिग कौ जाय । सी धियति में ग्राहार एक स्तन चीज होगी, प्रा इ प्रकार त्रम से जोह, मगल ठक भाला श्रौर ताए श्रादि यावय । फिर खाली तला (तमरल्ता णोलो) बड़ा श्राक धकण्टिदयेगा। गदेद्टताकेखायम्हा जा सकता हे कि थाजे के दर एक श्रग को अलग अलग स्पष्ट बेर जाने से कनाकार को राग वी शुद्धता वी रदा करने शरीर दिलचस्पी बढाने में रुहूलियत होगी । इस विधि से एक पूरा राग तीन या चार रेका (दोनो शरोर) मे रला के साथ बजेगा श्रोर राग वी पूरी कैफ्ियत एक इद तर दिखायी ना सेंगी । दर एक रेशा्ड एक पूरे राग की सीरीच थी तौर पर रहेगा । रेडियो प्रोग्राम में उवनी जल्दगानी नहीं करनी पड़ती, इसमें कलाकार को श्रपना पूरा बीशल रियाने का ग्+ुर मिलता दे। निर्वय दी रेडियो का दम कृतर दोना चाहिये कि घर पेठे देश के थठ गुशियों का करा चौशल श्रौर सगीनन्ल्ददरी सुनने वो मिल जाती है गो यदि कलाकारगण प्रत्येर पोग्राम के लिए सास तौर से रेयाज करके श्रवतो श्रीर भी सहूजियत दोगी 1 पक दोटे योपराम को सफल यनाने के लिए; समीतय में अच्छी तगीयतदारी, तालीम रर दे ओर इसी से कठिनाइयों दोती हैं। बलाकार को बैठते दी श्पनी तैयारी की दृद पर पटच व्यया और तमीयत को पूरे रग में ला देना पड़ता । १६




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