प्राचीन राजस्थानी गीत | Pracheen Rajasthani Geet

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Pracheen Rajasthani Geet by भगवतीलाल भट्ट - Bhagwatilal Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छल मेगल द अगव मसी, यला मारि खायें । मीति मौज चीकम क्रित) ६ ॥ खत स्यामि सुट कह तास मादूल एमार कित्ती ॥ 9 व्रस- जिसको दमयः पुयैज कम चन्द सा 1 शतु समूह पर ने मशं्रित देते लगातार वार फरन जद सलग्न हो उसका मदन कर देता दे. लि लस शोर दान चौ ख्याति मो चदुष्ए्‌ दषे परमार शादूल का भ्र यश गान करता हूँ दरीपालू मदिपाल रपौ इटाल कमा पंचयण माल करिवै कपाला वे अस तरवारि दुनियां वदित) दं तास सदूल पमार क्ती) = बम शिसझे पूज मान. दी ष्ठं एषम स्छेघ, [0 महिपाल, ययंदेव, कर्मचन्द, पंचायण दोर मार्दव के जति हैँ. ।




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