प्राचीन राजस्थानी गीत | Pracheen Rajasthani Geet

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Pracheen Rajasthani Geet by भगवतीलाल भट्ट - Bhagwatilal Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(न (~ प्राचीन राजस्थानी मीत भाग १० कुमार अमरसिंद ( जोधपुर ) --: गीतः? :-- , दर्लोनाथ यागल्‌ दिलो चंस रो दीपयण, सूप राई तना राड रदौढ। शमर्‌ यणि्यौ मधर धारिय आतपत्र, माल रो तिलक रियमाल हर मोड़ ॥ १ ॥ बड़ा ही वड़ा श्राचार दीप बिसपि, बहे सबलां खलां खेति वागे । जग दये भेथिये ग्ण रौ जत्र हय, जग हां वंघयण भरद्‌ जाम ॥ २॥ घ्र हर षप सक्थ साहण समद, तापि सादर श्रसमाण तोलें । श्रतग अरणरेण अणमंग उचा सिरी, यदल्‌ खल्‌ -सार मँ दोल्‌ बोले ॥ ३ ॥ घोल मद षोख अस तणा वादित्र घुर, जीघ सामंत मैं थाट जोपे । - चमर टले त्रिपति मिनमौ चॉड रन, मर मेघाउंप (र) सीसि श्रौत ॥। ४ ॥ , (स्वभक्त)




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