विद्यापति | Vidhyapati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vidhyapati by शिव प्रसाद सिंह - Shiv Prasad Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शिव प्रसाद सिंह - Shiv Prasad Singh

Add Infomation AboutShiv Prasad Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( & ) उस वातावरण से उन्होने करई प्रकार के श्रनुभव प्राप्त किये जिनसे उनके जीवन में एक विशेष प्रकार का श्रभिजात संस्कार पदा हृभ्रा। उन्होंने कमी भी अपने श्राश्रयदाता को अ्रसन्न करने के लिए भ्रत्युक्ति की शरणं नं ली, कवियों के लिए उस समय राजा के अ्रलावा दूसरा भ्राश्रय भी कहाँ था? वे श्रपश्रंडश क्वि पुष्पदन्त की. तरह यह नहीं कह सके कि वल्कल धारण करके गिरि-कन्दराभ्नों मं निवास करते हुए, वन के फल-फूल खाकर दारिदय से दारीर को कष्ट देकर जीवन बिता देना श्रेयस्कर है पर किसी राजा के सामने नतमस्तक होकर रभिमान का खंडन कराना नही ~, वक्कल निवसणु कदर संदिरु वण हल भोयन वर ते सुन्दर वर दालिह्‌ सरीरहं दण्डनं, णहि पूरिसह अभिमान विहडणु ब किन्तु दरबारो मं रहते हुए भी विद्यापति ने इस भ्रभिमान को कभी बेचा नही, कीतिर्सिह को बार-बार स्वाभिमान की चेतावनी देते हुए जैसे. विद्यापति श्रपने मन के गौरव को ही जाभ्रत किया करते ह :- मान॒ बिहूना भोश्रना सत्तुक 'देडोल राज सरन पदृट्ढे जीश्नना तीनू कायर काज भ्ाश्रयदाता राजा को चिपन्नती में उन्होने श्रादवासन दिया, इत्राहिमः राह से साहाय्य-याचना करनेवाले राजा के झाश्रित कवि होकर भी उन्होंने मुसलमानी अत्याचार को शिरसा स्वीकार नही किया, तत्कालीन बादशाह के शासन की दुव्येवस्था का उन्होने नग्न चित्रण प्रस्तुत किया । दरबार मे विद्यापति का सम्मान मी कमन था, वे कीतिरसिह के केवल प्राश्ित कवि नही, मित्र भी थे। शिवसिंह के शासन-काल-मे कवि को जो सम्मान मिला वह्‌ भ्रभूतपूवं था । विद्यापति ने श्रपने जीवन-काल मे न. जाने कितने राज ब्रनते-बिगड़ते देखे थे । उहोने देखा था किं विपत्ति की झाँधी मे बड़े-बड़े पेड़ कैसे उखड़ते है। विद्यापति दो दर्जन के करीब राजाओ, नवाबों श्रादि के आश्वय में रहे । सम्पूर्ण जीवन राजदरबारो में बिता देनेवाले विद्यापति ने शझ्रपने कृतित्व को कभी, भी दरबारी छाया से कलंकित नहीं किया । उनके गीतों मे दरबारी संस्कृति की नही, जनता




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now