बन्दूक और बीन | Bandook Or Been
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चूक गौर वीन १५
को मारा है, लगता है, मैं ज़िंदा नहीं हूं । युद्ध ने मुझ बया दिया है ? मौत,
बरवादी, गौर निराशा ।'
रनवीर ने कहा : लिकिन ऐसा ही चित्र नहीं है कर्नल ! मुझे लगता
है युद्ध एक मास्टर है । सदक देता है । लेना, न लेना आदमी का काम है।
इस युद्ध ने सबसे बड़ी चीज़ दी, वह थी दु ! बौर दु स की नीव पर ही
खड़ा होता है प्रेम का भवन ! दुनिया पहले से करीब ला रही है, ऐसा मैं
सोचता हूं ।'
'कहां भा रही है लेपिटनेण्ट कर्नल £ उसने धीरे से भुककर बहा,
ण्म भीर अमेरिका ! यह उदृजन बम, यह विनाशक वस्तुएं या घरी रह
जाएंगी ? पहला डटा आदमी ने जानवर मारने को उठाया था, जिससे
उसने दूसरे कबीले के आदमी का भिर तोडा और सब में तलवार, वस्टरक,
तोप होता हुआ वह उद्जन वम तक आ गया है। बम बनने की तुफ ही
धया है ! दोनों तरफ से आत्मरक्षा । और इसका नतीजा ?*
'रनवीर ने उगके पास भुकेकर कहा, 'कर्नेल ! इतना तो सच है कि
रूस हमला नहीं करेगा ।'
'स्तालिन की मौत बताती है कि रूम में जनता और सर्वहारा के नाम
पर एक गुट राज्य करता है 1
लेकिन उसने जनता की सुशट्टाली तो की है, कनेल ! जापानी
साम्राउपवादी दृष्टि से न देखो ! उसने बेहद तरवकी की है । क्या यह सब
जार के ज़माने में हो सकता था ? पर घायद तुम कहोगे कि तरवकों विजन
ने की है। रुस ने नही । जापान मे भी की थी । जौर अमेरिका जेसा साम्रा-
ज्मवादी देम भो तरकर कर ही मङृता है। उमीने पटने अणवम बनाया
था!
'यही मैं कहता था, ' कर्नल ने वहा--'यह जो हगेरी वगहरा में यलवे
हुए है लेफ्टिनेंट कर्नल ! मैं तब सिर्फ लेपिटनेंट था, लेकिन कोमितोंग
के चीन में चे वलवे मैंने देखे हैं जहां हमारी फौ्जे रहती थी। मुझे रुम ये
यादा नहीं है 1' =
User Reviews
No Reviews | Add Yours...