बन्दूक और बीन | Bandook Or Been

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Bandook Or Been by रागेय राघव - Ragey Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चूक गौर वीन १५ को मारा है, लगता है, मैं ज़िंदा नहीं हूं । युद्ध ने मुझ बया दिया है ? मौत, बरवादी, गौर निराशा ।' रनवीर ने कहा : लिकिन ऐसा ही चित्र नहीं है कर्नल ! मुझे लगता है युद्ध एक मास्टर है । सदक देता है । लेना, न लेना आदमी का काम है। इस युद्ध ने सबसे बड़ी चीज़ दी, वह थी दु ! बौर दु स की नीव पर ही खड़ा होता है प्रेम का भवन ! दुनिया पहले से करीब ला रही है, ऐसा मैं सोचता हूं ।' 'कहां भा रही है लेपिटनेण्ट कर्नल £ उसने धीरे से भुककर बहा, ण्म भीर अमेरिका ! यह उदृजन बम, यह विनाशक वस्तुएं या घरी रह जाएंगी ? पहला डटा आदमी ने जानवर मारने को उठाया था, जिससे उसने दूसरे कबीले के आदमी का भिर तोडा और सब में तलवार, वस्टरक, तोप होता हुआ वह उद्जन वम तक आ गया है। बम बनने की तुफ ही धया है ! दोनों तरफ से आत्मरक्षा । और इसका नतीजा ?* 'रनवीर ने उगके पास भुकेकर कहा, 'कर्नेल ! इतना तो सच है कि रूस हमला नहीं करेगा ।' 'स्तालिन की मौत बताती है कि रूम में जनता और सर्वहारा के नाम पर एक गुट राज्य करता है 1 लेकिन उसने जनता की सुशट्टाली तो की है, कनेल ! जापानी साम्राउपवादी दृष्टि से न देखो ! उसने बेहद तरवकी की है । क्या यह सब जार के ज़माने में हो सकता था ? पर घायद तुम कहोगे कि तरवकों विजन ने की है। रुस ने नही । जापान मे भी की थी । जौर अमेरिका जेसा साम्रा- ज्मवादी देम भो तरकर कर ही मङृता है। उमीने पटने अणवम बनाया था! 'यही मैं कहता था, ' कर्नल ने वहा--'यह जो हगेरी वगहरा में यलवे हुए है लेफ्टिनेंट कर्नल ! मैं तब सिर्फ लेपिटनेंट था, लेकिन कोमितोंग के चीन में चे वलवे मैंने देखे हैं जहां हमारी फौ्जे रहती थी। मुझे रुम ये यादा नहीं है 1' =




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