नाना फाड़नवीस | Nana Fandanvees

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Nana Fandanvees by डॉ. राजकुमार वर्मा - Dr. Rajkumar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) माघवराव पेदवा का दासन-काल नाना फड़नदीस के राजनीतिक उदय का उपाकाल था 1 इस उपाकाल में हो नाना की राजनीतिक भ्रन्तदू प्टि गौर कार्य-कुशलता ने उन्हें महाराष्ट्र का ही नहीं, प्रत्युत समस्त देश का राजनीतिजर घोषित कर दिया । नाना के कार्य-कौशल ने पेशावा माघवराव के साहम को और नो सुदृढ़ कर दिया । ऐसा ज्ञात होता है मानों माघवराव के साहस की फ़ौतादी तलवार पर नाना ने श्रपनी नीति का पानी चढ़ा दिया श्रौर यह दलवार कठिन से कठिन लक्ष्य पर अचूक शौर वठोर प्रहार करने में समर्थ हुई । मधधवराव की मृत्यु के श्रनन्तर तो गृहविद्वोह ने श्रौर भी भयानक रूप धारण किया । रघुनायराव झौर उनकी स्त्री आनन्दीवाई ने माघवराव के माई नवीन वेदवा नारापणराव की हत्या कराई श्रौर स्वयं ही वेशवाई प्राप्त करने कै निषु ईस्ट इद्धया कम्पनी का रात्रय लिया विन्तु नाना फड़नवीस मे मं श्रवद्मर पर्‌ एम शिन, माहम श्रौर नीति चा परिचय दिया कि रघुनाय राव तौ श्रषनी दप्पवृत्तियौं मे श्रनफन रटे ही, ईस्ट इटिया कम्पनी मी नाना की इस नीति-ुशलता के समक्ष पराजित हुई । कंपनी के गहरे से गहरे दृयकंडे साबुन के बुलबुलों की भांति फूट गए श्रौर कपनी के वड़ें से बड़े कर्मचारी शुब्ध होकर काठ के खिलौने की भांति निश्चेप्ट हों गये । नाना की योग्यता को स्वीवार करते हुए जे० सलीवन ने कर्नल त्रिग्न को एक पत्र में लिखा था-- “हमें नाना फड़नवीस या उससे मिलते-जुलते श्रादमी दीजिए । जब हम भारत के शासकों से अपनी तुलना करते हैं तो हम दयनीय वौने ज्ञात होते हैं ।' दुमोग्य से नाना फड़नवीस को मी कवी यू नहीं मिली । मार्च सन्‌ १८०० १. (उंप्ट एड पंच सिापद्शीड आते 5एट प्रधिट शव फ०ण छह पा पद 215 25 620 ै0फाफ्ाडप81015 पला (ठपाएडात्व पप पद णा [द ऽव 11 1 -- त. ऊ (९ 0 (कय 4895, 1850.




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