भीम प्रश्नोत्तरी | Bhim Prashnottari

Bhim Prashnottari by पं. भीमसेन शर्मा - Pt. Bhimsen Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९३) 5 प्रश्न-यदि चित्‌ रुप देश्वर सब में है ती जड़ों में अतनता क्यो महीं प्रतीत होती? मुद्र शरोर चेतन क्यों नहीं होता, दोपक के होते भी अन्धकार हो रहे तो दोपक का छोना केसे सिद्ध होगा ? । इस से तम्हारे मत में इेश्वर का चिंद रुप होना खशणिडत क्यों नहीं हुआ थात्‌ अवश्य खशिडत है ॥ 9 उत्तर-अश्चि प्रकाशरूप है परन्तु व्या अचि काष्ठ इन्धन में भी रहता है । यावत्‌ रगड़ से प्रकट न हो तबतक न दाहक शक्ति होती न प्रकाश रूप ही प्रकट होता है । प्रत्येक मनुष्य के देह में अग्नि रहता है परन्त्‌ दग्ध नहीं करता ऐसे हो परमात्मा व्यापक सदत्र है। ८ प्रश्न-क्या इंश्वर दुःखस्यानों में भो आमन्द्स्वरुूप से व्यापक है ! यदि ऐसा है तो वहां २ का दुःख पीड़ा बाधा क्यों नहीं मिटती है । यदि नहों मिटतो तो उस के आनन्दस्वरूप से व्यापक होने में प्रमाण हो क्या है? । यदि कहीं ख़ास जगह वा लोक में आनन्द स्व- रुप है तो सवब्यापक क्यों मानते हो ? ॥ ८ उत्तर-पापोंका फल देश्वर का न्यायपुर्वंक दिया हुबा दुःख होता है, यदि कोड जज पुत्रोट्सवादि




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