हिंदी साहित्य खंड - १ | Hindi Sahitya Part1

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धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

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ब्रजेश्वर वर्मा - Brajeshwar Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिदो साहित्य भूमिका ९, भौगोलिक और मानववैज्ञानिक एधभूमि मध्यदेश ओर हिन्दी क्षेत्र वतमान हिन्दी भाषा प्राचीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश एवं उनसे निकली हुई क्षेत्रीय बोलियों कौ दीघेकाटीन श्ुखला की सबसे अंतिम कड़ी है । हिन्दी नाम तो इधर हाल में ही चाल हुआ है। पर मध्यकाल में उत्तरापथ की बोलचाल की जिस व्यापक भाषा को मुसलमान लेखकों दवारा हिन्दई कहा जाता था, उसी का पर्याय इस समय हिन्दी है। क्षेत्रीय बोलियों की दृष्टि से दिल्‍ली मेरठ प्रदेश की बोली से वर्तमान खड़ी बोली का विकास हुआ,.जो इस समय की परिनिष्ठित हिन्दी है। किन्तु भाषावैज्ञानिक विकास परंपरा के अनुसार अवधी, ब्रन, मैथिली, मगही; बघेली, बन्देली, मालवी, राजस्थानी, हरियानी आदि सब बोलियों के साहित्य का सामृहिक नाम हिन्दी- ` साहित्य हे ओर इन सव बोखियो का समावेश हिन्दी भाषा के क्षेत्र मे ही प्रायः सबको मान्य है । इस वृष्टि से हिन्दी क्षेत्र ओर मध्यदेश का भौगोकिक विस्तार समान है। देश का नामकरण इस देश के नामको दो परम्पराएं है -- एक भरत के नाम से ओर दूसरी वह्‌, जिसका हिन्दी नाम से संबंध है । गोस्वामी जी ने इस देश को भारतभूमि कहा है ।* पुराणो के भूगोर मं देशो का यही नाम है। भीष्म पर्व की भारत प्रशस्ति मे अर ते कीर्तयिष्यामि ववं भारत भारतम्‌ कहा गया है। पुराणों में यह भी उल्लेख है कि पहला नाम अजनामवषष था। पीछे ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम से यह प का प त उ त क कि इक व १. भलि भारतभमि, भले कुल जन्मु, समाजु, सरीर भलो कहि कं । न कवितावलो, उत्तरकाण्ड, छंद ३३!




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