मानस माधुरी | Manas Madhuri
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ७
प्रौर पंच तत्वों का धर्म परिवतंन कर देने शक्ति का प्रदशंन--विषाह का
धैमव--देवो के प्रति कृपा योक दानवो वृत्ति प्रवाञ्छनीय--उनकी निहूँदुकी
कृपा फा सूर्यप्रमा की माति सम विषम विहार ।
१२- राम का धाम
धाम फा प्रथ--रूप के भिन्न-भिन्न ध्यान तदनुकूल भिन्न-भिन्न घाम,
निराकार रूप का घाम सम्पूर्ण विश्व--सस्त हृदय तीथंस्थल, विभुतिमत् श्रीमद्
ऊर्जित पदार्थ, उसके विशिष्ट घाम हैं--सुराकार रूप के धाम हैं क्षीरसागर,
घकुष्ठ, नित्य साकेत, जिनका विशद वर्णन मानस में किया ही नहीं गया ।
इस रूप का विशिष्ट घाम होना चाहिये भक्तो का मानस--नराकार रूप का
धाम है सम्पूण भारत--विशेषतः चित्रकूट श्रौर शभ्रयोध्या, जो “सुराज्य” श्रौर
रामराज्य'' के प्रतीक ई--जहां सुराज्यया रामराज्य होगा वही राम का
धाम होगा-सहयोगौ जीवन ही राम का धाम है--प्रयोष्या फी नगरनिमणि
न्वस्या एव वहां के राजा प्रजा का कर्मठ सात्विक जीवन ।
उत्तरार्धं
१२३- लक्ष्मण श्रौर भरत
मीनघर्मी सयोगी सक्त लकमण श्रौर चातकधर्मी वियोगी भक्त मरते-राम
श्रलचंय € प्रतएव उनके सा्निघ्य के लिए लद्मण सा भाग्य सब का नहीं किन्तु
रामराज्य का सुनीम होना सम्भव है श्रतएव भरत ही भक्त के प्रकृत श्राददी
हैं--विरह धर प्रन्यासौ भाव-दिल भ्रौर दिमाग का सन्तुलन--भक्ति मक्त
भगवन्त ग्रु लदपण की उग्र प्रकृति--राम के प्रति परम श्रद्धा ही के कारण
वैसा स्वमाव--राम का व्यक्तित्त उनके श्रादेश से भी श्रघिक प्रिय--भरत का
सौम्यत्व सुप्रीव श्रौर विभीपरण का विपयंय--कर स्वामिहित सेवक सोई
शट्माप्रो तथा लोभ क्रोघ काम की विपम परिस्थितियाँ--तदीयता की पराकाएा ।
चिन्नकूट सभा का विवेक--लदमण श्रोर भरत के प्रश्न । दोनो के एक टूसरे से
प्रश्न । दोनो के एक दुसरे के प्रति उद्गार ।
१४-सद्गुर शर
दो नावधाराएं प्रतएव दो प्रकार कै श्राराघ्य । एक श्रोर है निवृत्ति, कमं
सन्यास, शान, शान्ति, व्यक्तित्व की निन्दता, ऊजस्विता, कृति का
प्रभाव--टूसरी शोर हे प्रवृत्ति, कर्मयोग, भक्ति, श्रानन्द सामाजिक सुव्यवस्था,
परम सदयं, वस्तु फा प्रमाव 1 श्रग्नि उपासना का विकसित सूप धिव पूना
प्रोर सूयं उपासना का विकसित रूप विष्णु पूजा । प्रतीक पूजा--विश्वत्मा झीर
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