राष्ट्रनिर्माता मुसोलिनी | Rashatra Niramaata Musholini

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बह अपने भाग्य अथवा अपने देशवासियों के भाग्य से बराबर बचते ही गए । दम ऐबीसीनिया और स्पेन के निहदत्थों पर बम वर्षा की जाने की निन्दा करते है, किन्तु अन्य देशों में उसी से मिलते जुशते दृश्य को शांति से देख लेते हैं। दम इस बात को एक दम भूल जाते हैं. कि कौरव पांडवों के जैसा धमै- युद्ध केवल भारत भूमि में भारतवासियों के द्वारा दी संभव है; यूरोपवासियों के द्वारा तो बह एकदम असम्भव है. । पाठकों को यह स्मरण रखना चाहिये कि क्र.रता के विषय में हिटलर, मुसोलिनी 'अथवा स्टालिन सभी भाई २ हैं, उनमें कम कोई नहीं ह । उन सभीकेक्रोधसे बचते रहने में ही कुशल है. । रस्तु, इस प्रकार समाजवाद श्रौर फासिस्टवाद के अन्दर पक्षपात रहित होकर हमको यद्‌ सोचना चाहिये कि हमको अपनी भावी शासनपद्धति में किसको अपनाना है । मेरी तुच्छ सम्मति मे भारत-वसुन्धय समाजवाद के लिए उप- युक्त स्थान नहीं है । साम्यवाद श्रथवा समाजवाद च्रभी श्रभ्यास- कोटि में हैं. । स्वयं रूस में ही उसके रूप के पश्चात्‌ रूप बदलते रहे हैं. । फिर भला घर्मंप्रधान भारत देश में यह वर्गेयुद्ध बाला आंदोलन किस प्रकार शांति स्थापित कर सकता द । इसमें सन्देह नहीं कि फासिस्टवाद में भी डिक्टेटरशाही श्रौर सैनिकबाद यह दो तत्त्व अप्राह्य हैं.। यदि फासिस्टबाद में से इन दोनों तत्वों को प्रथकू कर दिया जाते तो शेष विशुद्ध, राष्ट्रीय समाजवाद ( ०७०००) 3०050 ) बच रहता है।




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