ग्राम चिन्तन | Graam Chintan

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Graam Chintan by नृसिंह - Nrisingh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पंचायतों के कर्तव्य है इसे “प्राफीदारों में जन-सेवा के पैतृक-संस्कार जन्मजात होना चाहिये, जिनका सदुपयोग आ्राम-पैचायतों को आम-सुधार की इस प्रगति में अवश्य करना चाहिये । अभी हाल में माफीदारों को संस्थान से गीता एवं नसिह- पुराण आदि धार्मिक पुस्तकें दी गई हैं, ताकि वे उन्हें पढ़कर आमों में लोगों के नैतिक उत्थान के लिये धार्मिक सिद्धान्तों का प्रचार करें। उनका कह कतैव्य है कि वे प्रत्येक दिन आमवासियों को नेतिक तथा आध्यात्मिक शिक्षा दें ओर ग्रामवासी भी उन्हें सुनने के छिये एकत्रित हों और अपनी प्राचीन संस्कृति को जानें | मेरे विचार से ग्रामोत्थान के लिये नेतिक-उत्थान सब से अधिक आवश्यक है । मेरा विश्वास है कि उक्त पुस्तकों के आधार पर दी हुईं शिक्षा से छोगों में अपने धम और कर्तव्य-पाछन की भावनायें पेंदा होंगी भर उनमें से निराशा और आहलूस्य दूर होगा । गाँवों में डाली जानेवाली सडकें. पिछले, अध्याय की कलम नम्बर ६ (०) में आमों को मिलाने वाढी सड़कों की जो चोड़ाई बताई गई है, वह जितनी चाहिए उतनी नहीं मादस होती। मेरे विचार से सड़कों की चौड़ाई कम से कम २० फीट रखनी चाहिये । मामवाखँ फो सडक केसे डाटी जाती है, इसका शायद ज्ञान नहीं होगा। ऐसी अवस्था में छोगों की शक्ति का अपव्यय होना सम्भव है। इसलिये आगे सड़क बनाने के काम में नीचे लिखे ढंग से काम लेना चाहिये ।




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