साधना के पथ पर या अहिंसा के अनुभव | Sadhana Ke Path Par Ya Ahinsa Ke Anubhav

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : साधना के पथ पर या अहिंसा के अनुभव  - Sadhana Ke Path Par Ya Ahinsa Ke Anubhav

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के भवरासा में सन १८९२ ई० में हुआ।

विश्वविद्यालयीन शिक्षा अन्यतम न होते हुए भी साहित्यसर्जना की प्रतिभा जन्मजात थी और इनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ "औदुंबर" मासिक पत्र के प्रकाशन के माध्यम से साहित्यसेवा द्वारा ही हुआ। सन्‌ १९११ में पढ़ाई के साथ इन्होंने इस पत्र का संपादन भी किया। सन्‌ १९१५ में वे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आए और "सरस्वती' में काम किया। इसके बाद श्री गणेशशंकर विद्यार्थी के "प्रताप", "हिंदी नवजीवन", "प्रभा", आदि के संपादन में योगदान किया। सन्‌ १९२२ में स्वयं "मालव मयूर" नामक पत्र प्रकाशित करने की योजना बनाई किंतु पत्र अध

Read More About Haribhau Upadhyaya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
চি ७0 छ ९ 5 © 4) পট টি] এ ॐ 611 @ 29০০০4৩250৩ 42 = अकि = = अक =< ওটি ওটি জে 22 + @ ~ < <€ ७ छ ~ विषय-सूची आरम्भ बंड! या शरीफ”! ९ परियतन दःखद घटना योग का पाठ आस्म-शुद्धि ढांकनेवाला नहीं सांप व भूत सात्विक भोजन , माव-हृदय हृदय-परिवतन धमं की शोध दौलतपुर में तुनक-मिज्ञाजी ईश्वर की कृपा दृश्वर- विश्वास 'मालव-मयूर!---नवजीवन! परीक्षा जब्त के अवसर सिपाही की स्प्रिट राजस्थान में तत्काल फल , श्रद्दिसा का मम्मे मजदूरों में अश्रष्टिसा १11 १६ २१ श्र ३२ হও ० 9 ए र ८९ ८६ ६९ ७& पर €२ ও ३०१ १०६ १११ ११८




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now