स्वर्गीय जीवन | Svargiyajivan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Svargiyajivan by सुख संपत्तिराय भण्डारी-Sukh Sampattiray Bhandari

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुखसम्पत्तिराय भंडारी - Sukhasampattiray Bhandari

Add Infomation AboutSukhasampattiray Bhandari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ११) उस हैजका, द्रवाना निरन्तर खटा रखा जातां है कि जिससे उस खेतमें चरनेवाले' पशुओंकी मरपुर जल मिले- और शेष जछ बगढके खेतोमें चछा जावें | एक वषेके लिये हमारे इस , मित्रको क्ती कार्यवदा दुसरे गांव जाना पडा । इस समय यह स्थान * व्यवहार कुदार ” कहलानेवाले किस्ती मनुष्यको किरायेपरः दिया गया । उसने जलाशयसे इस हौन तक पानी छानेवाढ़े नालेका मुँह बन्द कर दिया निससे पर्वतके ऊपर- से- बहनेवाले. स्फटिकके समान निमेछ जलका आना बन्द हो गया । हमारे मित्रका उस दिव्यस्थानके दरवाजेपर छगाया हुआ. सनन्‍्मान सूचक वाक्य इस मनुष्यने हटा दिया | अब হু स्थानपर खेलनेवाले आनन्दी छड़काका एवं अन्य स्रीपुरुषोका आना जाना. बन्द हो गया। सब बातोंमें फेरफार दिखाई देंने छगा | नवीन जीवनप्रद जछके अभावसे इस हाौनके सत्र॒ फू सूख गये ( मछलियां जो पहले उस निमे जलम तेरा करती थीं सबकी सब मर गयीं जिससे ) वह॒ स्यान महा दुगेन्धमय हो गया | हौजके किनारे জিভনলাউ फूक मुने छो, भवरौकी गुंनार बन्द हौ गयी, जर पीनेके लिये एवं क्रीड़ाकरनके लिये आने जाने वाले पद्ु पक्षियोंका मार्ग रुक गया । इस होजकी वर्तमान स्थिति और पूर्वकी स्थिति जो फर्क हुआ उपस्तका कारण यही है कि जत्मशयसे इस. होन तके जर छनेवाठे नेका मुँह वन्द्‌ कर दिया गया निस्ते हैानमें नवीन जीवन देनेवाठे जलका आना सकर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now