माध्यमिक विद्यालयों में हिन्दी शिक्षण | Madhyamik Vidhalayo Me Hindi Shikshan

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Madhyamik Vidhalayo Me Hindi Shikshan by निरंजन कुमार सिंह - Niranjan Kumar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 विषय प्रवेश [भाषा का उद्भव, परिभाषा, प्रकृति एवं सामान्य विशेषताएँ, भाषा सीखने की प्रक्रिया, भाषा के व्यावहारिक रूप, भाषा के भ्राधा र-मान सिक, भौतिक, भाषा-अध्ययन सम्बन्धी दृष्टिकोण-भौतिक, समाजशास्नरीय, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक] “भापा के कारण ही मनुष्य मनुष्य है, पर भाषा के श्राविष्कार के लिए उसका पहले से मनुष्य होना आवश्यक है ॥”? ““वॉन हम्बोल्ट भाषा एक मानवीय कलाकृति है समस्त प्राणिजगत में केवल मनुष्य को ही भाषा का अमूल्य वरदान प्राप्त है। भाषा प्रकृति का वरदान है श्रथता मानवीय कलाकृति श्रथवा ईश्वर प्रदत्त शक्ति, यह भाषा वैज्ञानिकों के लिए श्राज तक एक रहस्प अथवा शास्त्रार्थ का विषय बना हुआ है | बहुत दिनों तक भाषा की उत्पत्ति का दिवी सिद्धान्त” ही मान्य था जिसके अनुसार भाषा को ईश्वरीय कृति मान लिया गया था। प्राचीन भारतीय विचारक भी मानते थे कि ईश्वर ने ऋषियों को वेदिक भाषा का ज्ञान प्रदान किया । संस्कृत को इसी कारण 'देववाणी' की संज्ञा प्रदान की गई है। पतंजलि ने ईश्वर को ही भाषा का आदि गुरु माना है। मनुस्मृतिकार का कथन है-- “स्वपांतु सनामानि कर्माणि च पृथक्‌ पृथक्‌ । वेद शब्देभ्यः एवादौ पृथक्‌ संस्थांच निर्मने ॥” “दैवी सिद्धांत से भाषा कौ उत्पत्ति पर कोई प्रामारिणक प्रकाश नही पड़ता, पर इतना तो सर्व॑मान्य है कि भापा के वरदान से ही मनुष्य इतना उन्नत प्राणी बन सका है। मैक्समूलर ते ठीक ही लिखा है कि भाषा यदि प्रकृति की देन है तो निस्सदेह ही वह प्रकृति की श्रन्तिम और सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसे प्रकृति ने केवल मनुष्य 1,150 15 10190 09 10092179 01 5छ००णी एप वा 01091 16 11011 86601, 16 पप्र 06 21620 17910,+--502. 73020010




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