तीमारदारी | Timardari

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Timardari by श्रीमन्नारायण - Shreemannanarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह ( ६ ) इसी पर थर्मामीटर और दूसरी चीजें, जिनके टूटने का डर हो, रक्खी रहनी चाहिये । कुरसी ;--- केवल एक या दो रहें, क्‍योंकि रोगी के पास देखने वालों की भीड़ न हो । मामूली तौर पर सबको साफ हवा की आवश्य- कता होती है। रोगी को और भी अधिक, क्योंकि वह रोग से पीड़ित है। इसलिए भीड कम रखने के लिए रोगी की चारपाई के पास दो से अधिक कुरसियाँ न रहने देनी चाहिये | रोगी के विस्तर पर जहाँ तक हो सके न तो तीमारदार और न किसी वाहर से आये हुए सज्जन को ही वैठना चाहिये | ऐसा करने से मरीज तथा दूसरे लोगों को भी फायदा है। मरीज को गन्दा विस्तर वहत बुरा लगता है । वाहरी लोगों के धैठने से विस्तर गन्दा हो जाता दै। वहूत-सी वीसारियाँ उड़नी होती हैं। मरीज के पास चिस्तर पर वैठने से उन. वीमारियों के लगने का भय अधिक लगा रहता हैं. । इसलिए कुरसी रहने से सब की फायदा है। आराम कुरसी :--मरीज जब कुछ अच्छा होने लगता है तो उसको हरदम चारपाई पर लेटे रहना भारी लगता है | ऐसी हालत में आराम कुरसी वहुत सुख देने वाली चीज है क्योकि इस पर मरीज जब चाहे लेट सकता है और जब चाहे वैठ भी सकता है। आलमारी १---कर्ी-कभी कई शीशियाँ, प्याले, गिलास, लोटा वगैरह के एक ही मेज पर रहने से उनके टूटने और गिर जाने का डर रहता है। इसलिए लकड़ी की छोटी-सी आलमारी या रैक एक किनारे रखी रहे तो अच्छा है। इसमें खाने-पीने के वरतन, प्याले, स्टोब वगैरह रखने चाहिये | यह आलमारी जालीदार हो तो बहुत च्छा है, क्योकि इसमें खाने की चीजें ( फल आदि ) रखी जा सकती हैं। जाली के कारण




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