ज्ञान माला 1 | Gyan Mala Part-i

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Gyan Mala Part-i by ज्ञानपल सेठिया -Gainpal Sethia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवदयापर दामनज्ञककी कथा |. १३ बज न आना झाशो तब सुनदने कहा कि हे पापिणी ? मेरे ऐसी वात करनी नहीं चाहे जैसा कष्ट घ्राप्त होगा तो भी में हि सा करूंगा नहीं तव ख्री ने कहा कि तू वड़ा निद॑य है कुटुम्बको दुखी करमेसे लोक में झपयश होगा। ऐसा कह कर उसका साला जवरजस्ती से उसको मच्छी पकड़नके लिये ले गया । वहां जाकर पाणी में जाल डाला उसमें जो मच्छी आई वह सब ब्पना घ्रत पालनेके लिये बापीस पाणो में छोड़ दी घर पर खाली हाथ से झायो। फिर दूसरे दिन ख्रीकी प्रेरणासे गया उस दिन भी वेसे ही मच्छी वापीस पाणी में रख कर खाली हाथे घर पर/श्राया । फिर तीसरे दिन स्त्रीकी प्रेरणासे गया बहा मच्छों पकड़ते एक मच्छी की पाख टूट गई यह देख कर वड़ा दुःखीत होकर पश्चाताप करने लगा पोछे सगा सम्बधियो को कद कर झनशन किया और मरण पा कर ही




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