आविष्कार और आविष्कारक | Avishkar Aur Avishkark
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामवृक्ष बेनीपुरी - Rambriksh Benipuri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~~~ ~ हि ५ गधि हि । ध
एक साधारण मनुष्य के दिमाग में ऐसी रेल का जन्म होगा, जो सो पर्ष के अन्दर ही |
৯১ ৬৩ ^ ৬৩ ~ ৬৬ श्व ०
संसार ॐ कोने-कोने में फैल जायगी ! सन् १८२५ मेँ जव -पहले-पदल ईग्लेड में रेल |
चली थी, किसीकों आशा भी नहीं थी कि इसका भविष्य इतना उष्ज्बल होगा। उस
समय लोग हैंसी उड़ाते और तालियाँ पीठते थे; पर आज रेल ने इतनी उन्नति कर ली
है कि कोयला-पानी के सिवा वह त्रिजली के सहारे भो चलने लगी है !
लुन, ते तो केवल एक लाइन पर चलने बाली रेल भी बना डाली है। ऐसी
ही गाड़ी आयरलेंड के 'बेली-बुनियन' नामक स्थान में फी घंटा ८१ मील चलती है।
इंगलड के मेचेस्टर-नगर से लीवरपुल-नगर तक ऐसी ही रेल चलाई जा रही है, जो ३०
खालिप लोहे की बनो हुई बहुत द्वी मजबूत रैलगाड़ी.... | |
मिनट में २४ मील का रास्ता तथ करेगी ! जमेनी के परशिया-पान्त में तो कुछ दूर तक ॥
झूलती या लटकती हुई रेल भी चलने लगी है | उसमें गाड़ी के ऊपर पहिये लगे होते ই না
... भला ऐसी दशा में कौन कह सकता है कि रेल की उन्नति अभी और कहाँ तक
होगी १ जंगल-पहाड़ छान डाले गये, नदी-नाले बाँध दिये गये ! बस, डर सिर्फ टक्कर का |
है। वह भी हल हुआ चाहता है । पेंसिलवेनिया में खालिस लोहे की रेलगाड़ी बन चुकी.
है, जिसमें तनिक भी लकड़ी नहीं लगाई गई है। अब और कुछ दिनों मे इन सब तरह |
की गाड़ियाँ का भचार दुनिया के सत्र देशों में हो जायगा। चलो, आग और टक्कर से
भी जान बची ! । |
०
मनुष्य की बुद्धि जो न करे सो थोड़ा है | |
হিল্লা লাল वयव्य |~ হল
~ $
~ न = ॐ ५ > 8
न (य य य एय ल
User Reviews
No Reviews | Add Yours...