काव्य का देवता : निराला | Kavya Ka Devta Nirala
लेखक :
विश्वम्भर मानव - Vishwambhar Manav,
श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'
श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.78 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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विश्वम्भर मानव - Vishwambhar Manav
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श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवन
श्र
३००) मासिक से इनकी श्राधिक सहायता की ।
१५ झवतूवर १९६१ को चित्रकार कमलाशंकर के दारागंज वाले
मकान में पूर्वाह्न € बजकर २३ मिनट पर इन्होंने अपने भौतिक शरीर
को त्याग दिया । मृत्यु से पहले थे हानिया रोग से पीड़ित थे ।
निराला ने श्रपने जीवन मे निम्नलिखित काव्य-ग्रंथों का प्रणयन
किया--
* झनामिका
परिमल
गीतिका
तुलसीदास
कुकुरमुत्ता
अखिंमा
नए पत्ते
चेला
भ्र्चना
झ्राराघना
गीत-गूंज
१९९३
१६२४
श€३६
१६३८
१९४२
श्९४३४
१६४६
१६४६
श्६४५०
श्६४३
१९५१४
+म्रनामिका ( १६३८ ) श्र भीत-गुंज ( १६५९ ) के द्वितीय
परिवद्धित संस्करण प्रचलित हूं ।
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