काव्य का देवता : निराला | Kavya Ka Devta Nirala

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विश्वम्भर मानव - Vishwambhar Manav

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श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवन श्र ३००) मासिक से इनकी श्राधिक सहायता की । १५ झवतूवर १९६१ को चित्रकार कमलाशंकर के दारागंज वाले मकान में पूर्वाह्न € बजकर २३ मिनट पर इन्होंने अपने भौतिक शरीर को त्याग दिया । मृत्यु से पहले थे हानिया रोग से पीड़ित थे । निराला ने श्रपने जीवन मे निम्नलिखित काव्य-ग्रंथों का प्रणयन किया-- * झनामिका परिमल गीतिका तुलसीदास कुकुरमुत्ता अखिंमा नए पत्ते चेला भ्र्चना झ्राराघना गीत-गूंज १९९३ १६२४ श€३६ १६३८ १९४२ श्९४३४ १६४६ १६४६ श्६४५० श्६४३ १९५१४ +म्रनामिका ( १६३८ ) श्र भीत-गुंज ( १६५९ ) के द्वितीय परिवद्धित संस्करण प्रचलित हूं ।




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