अन्तरिक्ष | Antariksha

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Antariksha by राजीव सक्सेना -Rajeev Saksena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैसी कोई चीज नहीं है ब्रहमाण्ड मे कही भी किसी भौतिक कारण से यदि रिक्ति होती है तो वहा तत्काल उतनी मात्रा मे द्रव्य की सृष्टि होकर रिक्त स्थान की पूर्ति हो जाती है। यानी ब्रहमाण्ड कभी भी खाली नहीं रहता | ऊपर बताया जा चुका है कि ब्रहमाण्ड की उत्पत्ति के विषय मे हूबल की विग बैग थ्यौरी' को ही विज्ञान जगत मे मान्यता प्राप्त है किम्तु अभी कुछ समय पहले कतिपय भारतीय वैज्ञानिकों ने कुछ नये सिद्धान्त प्रस्तुत कर हूबल के ब्राहमाण्डिकीय सिद्धान्तो को चुनौती दी है। भारतीय अतरिक्ष अनुसघान सगठन के एक वैज्ञानिक का कहना है कि हमारे ब्रहमाण्ड का जन्म किसी प्राक्‌ परमाणु से नहीं बल्कि एक प्राक्‌ लय (कास्मिक रिद्म) से हुआ है। इस वैज्ञानिक का कहना है कि आरम्भ में जब कूछ भी नहीं था तब एक लय उत्पन्न हुई। इस लय से आवेश उत्पन्न हुए तत्पश्चात मूल कण ( इलेक्ट्रान, न्यूट्रान और प्रोटान) बने। फिर इन मूलकणों से परमाणु बने और द्रव्य निर्माण यानी सृष्टि की प्रकिया शुरू हुई और ब्रहमाण्ड बना। सयोग से एक भारतीय वैज्ञानिक ने ऐसा जनित्र (जिनरेटर) बनाने मे सफलता प्राप्त कर ली है जो 'कुछ नहीं' (नथिगनेस) से विद्युत आवेश यानी ऊर्जा उत्पन्न करता है। अविश्वसनीय से प्रतीत होने वाले इस दिक-ऊर्जा-जनित्र का प्रदर्शन म्यूनिख के विश्व प्रसिद्ध विज्ञान मेले मे सफलतापूर्वक किया जा चुका है। उक्त उपकरण को तैयार कर लेने से इसरो के वैज्ञानिक दृवारा प्रतिपादित 'प्राव लय के ब्राहमाण्डिकीय सिद्धान्त की प्रायोगिक आधार पर पुष्टि भी हो चुकी है। पश्चिमी देशो के वैज्ञानिकों के पास अब इसे स्वीकार करनेके अलावा और कोई चारा नहीं रह गया है। उक्त सिद्धान्त की पुष्टि के बाद हुबल की 'विग-बैंग थ्योरी की धज्जिया उड चुकी है, किन्तु पूर्वाग्रहो के कारण अभी भारतीय वैज्ञानिक की ब्रहमाण्ड की उत्पत्ति सबधी व्याख्या को भी स्वीकार नहीं किया जा रहा है। 1




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