शाकाहार सर्वोत्तम जीवन पद्धति | Shakahar Sarvottam Jivan Paddhati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नेमीचन्द्र जैन - Nemichandra Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५
९
शाकाहारः सर्वोत्तिम जीवन-पद्धति
यह माननारि शाकाहार सिर्फ एक आहार है, वहुत छोटा विचार है। जब भी हम किसी प्रकार के
आहार की चर्चा करे हमे इस दात झा ध्यात रखना चाहिये कि कोई भी आहार सिर्फ आहार नहीं होता, वह
समग्र जीवन को प्रभावित और प्रतिविम्बत करने वाला एस महत्त्वपूर्ण अश होता है, जिसकी हमारे
ब्यक्तित्व-निर्माण में एक उल्तेसनीय भूमिका होती है।
सब जानते हैं कि हम जैसा खाते हैं, वैसा होते हैं! सृष्टि का नियम है कि जैसा दीज होता है, फत भी
वैसा ही होता है। आहार चाहे जो|मैसा हो, दीज-हुप होता है। यही बोज हमारी तस-तस में फैल कर एक पूरे
वप्त कौ धक्त ग्रहूण कर लेता है।
शरीर एक तरह का वृक्ष हो है, अवयव जिसकी झासाएँ हैं, और शिराएँ जिसके रेसे हैं। इसे हम जैसा
रमंगे, वह वैसा|उसी तरह से रहेगा। असल मे हमे चाहिये कि हम इस वैज्ञानिक सचाई को व्यक्तिगत रूप हे
जाने कि हम आहार के रूप मे जो भी ग्रहण करते हैं, वह उत्तरोत्तर स्पूल-से-सुक्ष्मतर होता जाता है, बर्थार्
उप्ते मास-मन्जा-स्धिर भादि तो बनते ही हैं, हमारी कोमत अनुभूतियाँ भी दनती हैं, बत' यहू तय है हि
शावाहार एक सुविकृसित जीवन-पद्धति है, जिसमे अहिसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह गौर गह्ययं वैरे
सात्विक गुणो का महत्व है। इसे छोड दुनिया वा ऐसा कोई आहार नहीं है जो दूमरो को रझा, हर उनके
भरपूर सम्मान मे मास्या रता हो! ˆ
सभव रै जद तक मनुप्य ने सेत-सतिहान मौर বীজ-বুল ক বু কী ন আলা হী, न्ड ठ= तमः इर
निर्भर रहा हो, और सामिष आहार लेता रहा हो, किन्तु जैसे-जैमे दह दिवरिति हक गण - उस्छा
पाछ्ृतिक अम्युत्यान होता गया, उसके जीवन में हिसा की अपेक्षा अधि का और इदा हो कद झठएण
गा आदर ढदता गया। अहिसा मनुष्य की सर्वोत्तम उपलब्धि है। वह उसने माम्यरित उरनान्लनिंद दिबन्स
शा सर्वोच्द मिमर है। मासाहार और अहिसा दोनो मानान्तर चे रह संभव ट उन्त उञ्हः
और दइहिसा हो वदमग-सेजदम मिता कर चत सक्ते ह पनी तरट् गरन मन्न ङ्न नभर छना
मै साप कोई तालमेल नही रमते, वे अहिसा के साप ही स्घान्दन- चन
অর रम भाप्यात्मि दृष्टि तै प्ाक्ाहार पर विचार करते है न्च न्च দলা
| = ग
डिसमे जहा गया है रि दुनिया मे सारे जीवधारे झल्दत हैं == হুল হহিললাহ ক ভাই
पणौ আেবর্ ই কী সৈ ₹ল জাদমবলা কা লম্লান কল- 3 কইল লী शनन देना
াঁটে। वो देश पेटयौपो से पतन কী फ्रापार करत छा ते सग उन | मर्डर
হাই তে বা লরিবা ব্ী টী লী বাত জহর কী হাল সজল উনিই
ঘা জর हुम उमरे भदन. ए किए 7८ का ८८८८
शपि होने शो स्पस्दा तिना मे জল रं र जन न्च न्य् নাই 2 হি জা ল
বিহু জিকা বী ঘুলী লে ইয়া ফন ৯৯৯৪২ 2 = লু ইল ওহ
টা ~
॥
> ॐ
তম লৈ চাবাতী ঘর লিলি ই ৯৯ === ~ यच
प्रशान हश है के সি की मिल इश्क क हक
कर सर ८ 7 अभ्व र
¢ ४ ई के টীলহে কা => = টা ইউ এ -- ও ~ दा
{ শে ৰা চা अन्त
User Reviews
No Reviews | Add Yours...