सत्य सगड़ीत | Satya Sagdhit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तेरा प्यार [५ मेने चाहा तेय प्यार छल करनेमे छल्य गया में बनकर मूखे ममार । मेन । समझा था तुन्नका छल्ता हैं अब समझा में ही जलता हूँ नुझकी धोखा देना ही था धोख् खाना आप) जब समझा ठ मन मे बेठा देख रहा सब पाप ॥ मेरा चर हुआ अभिमान तेरी देग्व पडी मुसकान नर चरणो पर बरसनि ल्गा अश्र की बार | मेन चाहा तेरा प्यार ॥ २ ॥ मन चाहा तरा प्यार लेग आशाबाद मिला तब सूझ पडा ससार ॥ मेन । जाति पाँति का मोह छोड कर ऊँच नीच का भेद तोड कर आया तेरे पास, दिखाया तने अपना ठांट सर्वधर्म सम- भाव, अहिंसा का सिखलाया पाठ मैन पाया सल्न-समाज जिसम था तेरा ही साज हुआ विश्वमय, विश्ववन्घु मैं तरा ग्विदमतगार मेन चाहा तग प्यार | ০০৫০৯ ২০০৫ ২১১




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