शंकर - सर्वस्व | Shankar Sarvasv

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Shankar Sarvasv by हरिशंकर शर्मा - Harishanker Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[७ ] ने उपेक्षा या अप्लना फरने में कोई मीन फी) दम शते एति. दहास-हे सकों का अनौचित्य ही फ्देगे । हिन्दी में आधुनिक युग फे सर्याद्न सम्पन्न इतिदास की अत्यन्त आवश्यकठ है--ऐसा इतिहास जिधमे सादित्यकारों एप पुप स्वरूप दिस्याया जाय और उनके अच्छे; बुरे या साधारण होने का निर्णय स्वयमर पाठफों पर छोड़ा जाय । आगरा, श्रीराम शर्मा) १५ अगस्त, १६५१ [विशालमारत-सम्पादक्ष] পাশপাশি ~~




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