भारतीय संस्कृति के स्तोत्र | Bharatiya Sanskrati Ke Storta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किया। दाशामक प्रणाली ने दनिया को नाप-तौल का मानिकौकरण
গা । सिधू घाटी के नन््दी ने मीलियो' के एपिस घैल का रूप लिया,
और बाबूल का चक्कर काटते वह् रिनेवे मे! असूरी सहलो”
के रक्षको के रूप में” पसधारी पुमव बना, अपादान के स्तम्भो” पर
झसेको मानव-मुखी आकृति ने दाढी उगा ली जौर जन्तत वह अशोक के
चक्र के ऊपर आ वविराजा। इस प्रकार भारतीय पुगव ने अपना' याता-
चक्र पूरा किया। गुम्बजदार पिरामिडो” और ठोस जिग्रतोः से स्तपो*
को अस्थि सचायक पृण्यागार शौर विपूल स्मारक रूप भिले। मिम
के स्तम्भो' पर रूदे प्रालख बाबुल और अस्पीरया के निवासियो तक
पटच ओर परसीपोिलिस के स्तम्भो गौर बरहस्त्न क स्मरकौ- से गुजरते
दए उन्हौने यशोक-कासीनः विस्मयकारी स्तम्भ पंदा ¶किये।
जब भारत ने चीनी तीर्थयात्रियो को थे अमूल्य हस्तीलीखित ग्रथ
दिये जिनकी चीन में नवदीक्षितो' को दिये जाने के लिए प्र्तिलिपिया
तैयार को जानी थी , तब एक चमत्कार घट गया। गौर तब बुद्ध
यो उपदेशो” भर उन ग्रथो' के प्रचार के लिए कागज के सथ न्ताक यना
कर छपाई का आविष्कार हुआ, उधर कोरिया मे टाइप बने जिनको
অন্যান ল पूर्णता प्रदान को। कागज और छापखाने ने योरप की याद्मा
की और यदुर्याप अरब घडसदारो' की बाग शार्ल मार्ता ने पोत्वा के
युद्ध से रोक दी, इन आदिधष्कारो' ने बाशीबल के स्थानीय भाषानुवाद
प्रस्तुत ओरं प्रसरत करने मे सहायता की जिसकी सुधार (ीरफामःशन)
आन्दोलन के लिए गहरी आवश्यकता थी। चीनी ज्ञान, भारतोय गणित
और आयुर्वेद तथा यूनानो दर्शन के अध्ययन दीमशक और बगदाद के
व॑तसल-हिकमा मेः सरक्षित मौर अनूदित होकर अरबों दवारा योरप
कौ मानवतावादी ओौर ईसाईीविरोधी ग्रीससम्त पगन समाजो मे
पहुचाये गये। नादिको' के कतुबनुमा (कम्पास) के अद्भुत परिणाम
उसे समय दोहराये गये जब चीन से बनी बारूद का उपयोग इग्सौड कौ
बादशाह हेनरी सप्तम ने अपने बरनो” के किले औौर सत्ता तोडन के
िलिए ककिया। वह दानूब और सादा के युदुध-क्षेत्री मे उतनी ही वनिर्णय-
कारी सिदध हई जितनी कनवण्हा मे। वास्तव से” चीन को चाथ,
लातिनी अमरीका को तम्बाकू, बबिलोनिया के ग्रह-चिहून, कौन्स्टा-
न्तीन दवारा आविष्कृत ग्रहनामी सप्ताह का कलेण्डर सारी दुनिया मे
'फँैले। विज्ञानो' के उदय और प्रसार के साथ उनसे विचारों की उस
प्रगति कं चरण-चहन मिलते हैं जो विश्वव्यापी हो गये है। झीट-
हास गौर सस्कृति ने ऐसे पक्ष विकासत किये जिन्होने स्थानीय इकाई
ड
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