वो दुनिया | Vo Duniya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vo Duniya by डॉ० भगवतशरण उपाध्याय

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ० भगवतशरण उपाध्याय

Add Infomation About

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बह {केही शतः वद पिछली सन्‌ पवार की रत, ३१ दिसम्बर की न्युयाकं की स्क भरी रात्त ! शास की ही निकल गया था, सात ही वज । साहे सात बजे खाना था दृश्डियन चेम्बर आफ काससे के प्रधान श्री मगन दवे के घर। पचिवीं सेढ़के की बस पकड़ी । सड़क खाली थी, ऐसी जैसी कभी न देखी थी । जब तब इक्के-दुक्‍्के आदमी-श्रोरत दीख जाते, एकाथ टैक्सी या कारे पास ते निकल जातीं, वसे प्रायः खाली दौड़ रही थीं । क्या हो गए आदमी यहाँ के, वे नाजमरी अधनगी औरतें ओर वे सुन्दर सुकुमार वच्चे १ आज की रात शेज जेंसी शायद्‌ न हो क्योंकि शाम कुछु अजब है । रास्ते सने क्यो दे १ ४६वीं स्ट्रीट मे बस से उत्तर पद । सगवदत्तर रखा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now