सुकवि - सरोज भाग - 2 | Sukabi - Saroj Bhag - 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
421
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गौरीशंकर द्विवेदी - Gaurishankar Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ सुकवि-सरोज
की माधुरी द्वारा दिंदी-संसार के समकज रक्ली थीं। जब तक
उनके विरुद्ध मुझे कोड प्रबत्ञ प्रमाण नहीं मित्रता, तब तक
मुझे अपना ही कथन ठीक मालूम होता है। पाठकों की जान-
कारी के लिये अपने उस लेख को में ज्यों-का-श्यों यहाँ नद्धुत
किए देता हू-
“मनोरमा के नवंबर-मास के अंक मे बाबू श्रीशिवसंदन-
सद्दायजी का एक लेख गोस्वामी तुलसीदासजी के संबंध में
निकला है। आपका यद्ट लिखना सचमुच ठीक है कि गोस्वासी-
जी के किसी विशेष जीवन-चरित्र पर सबंथा सत्यता की
छाप देने में बहुत कुछ सावधानी ओर सोच-विचार की
जरुरत है।?” |
“सच तो यह दे कि गोस्वामी तुलसीदासजी के जीवन-
चरित्र के संबंध में जितनी खींचा-तानी हो रही है, उतनी और
किसी भी कवि के सबंध मे नहीं हुई है; फिर भी निश्चयात्मक
रूप से अब तक कोई बात ठीक नहीं हो सकी है ।
धवाषा वेणीमाधवजी के “मूल-गोसाईं-चरित्र! को नागरी-
प्रधारिणी पत्रिका आदि में यथेष्ट आलोचना हो रही है, भौर
उसकी प्रामाणिकता भौर अप्रामाणिकतां पर भी समुचित
प्रकाश डाला जा रद्दा है। अतः उस पर कछ ओर लिखकर इस
लेख का कलेवर बढ़ाना अभीष्ट नहीं । श्रस्तुत लेख में तो उन
नवीन श्ातव्य [बातों पर जो अब तक दिदी-संसार के सामने
नदीं आई है, प्रकाश डालना है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...