भार्गव आदर्श हिंदी शब्दकोश | Bhargav Adarsh Hindi Shabdkosh ( Hindi to Hindi Dictionary )
श्रेणी : भाषा / Language, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
85.82 MB
कुल पष्ठ :
949
श्रेणी :
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No Information available about पंडित रामचन्द पाठक - Pandit Ramchand Pathak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झग्स्यस्त्
रा (सं. पुं.) अम्निबाण, तोप,
बन्दूक, बमगोला, तमंचा इत्यादि जो
वारूद से चलाये जाति है ।
अग्व्यागार- (सं. पूं. ) अग्न्यगार।
अग्त्यात्सक- (सं. वि.) अति कठोर हुृदय-
वाला, अति कऋूर । ा
मग्व्याघान- (सं. पु.) अग्निह्दोब याग ।
अग्व्याघय- (सं. पुं.) अग्विहोत्री ।
अग्न्यालय- (सं. पु.) अर्निहदोत्र का घर ।
अग्न्यादाय- (सं. पुं.) पेट की जठरान्ति
का स्थान ॥
अम्त्युत्पात- (सं. पुं.) आग लगना, आकाश
से अर्नि की वर्षा, उल्कापात, घूम्रकेतु ।
अग्न्युद्धार- (सं. पुं.) अरणि ह्वारा यज्ञ
करने के छिए आग निकालना ।
अग्यारी-(हिं. स्त्री.) घूप देने का पात्र,
घूपदानी ।.... *
अग्र- (सं. पूं.) ऊपरी भाग, शिखर,
चोटी, नतोक, अत का भाग, अवलम्बस,
समूह; (वि. ) उत्तम, श्रेष्ठ, वड़ा, प्रधान,
प्रथम, अगला; -कर- (सं. पुं.)
दाहिना हाथ; -काय- (सं. पुं.)
दारीर का अगला साग; -गण्य-
(सं. वि.) जिसकी गणना पहिले की
जावे, प्रथम, अगुआ, सेता, श्रेष्ठ ;
-न्गामी- (सं. दि.) आगे जनेंवाला,
पुरोगामी,प्रधान नेता ; -ज- (सं-पुं. ) बड़ा
(जेंठा ) पुत्र या भाई,जिसका जन्म पहले
हुआ हो, नेता, विष्णु, ब्राह्मण; -जंघा-
(सं. स्त्री.) जाँघ का अगला माग;
-जन्मा-(सं. पुं.) ज्येष्ठ पुत्र, बड़ा
माई, ब्रह्मा, ब्राह्मण; -जात- (सं. पुं. )
जिसका जन्म पहले हुआ हो, जेठा पुत्र,
बड़ा भाई, ब्राह्मण; -जाति- (सं.
स्त्री.) मुख्य जाति, ब्राह्मण; -जिल्ना-
(संघस्त्री. ] जीम का अगला भाग; -णी-
(सं. पुं.) अगुवा, नेता, श्रेष्ठ, स्वामी,
साछिक; -तः- (सं. अव्य.) भागे;
पहिले; _ -दानी-(सं. पं.) निक्कुष्ठ
दान लेनेवाला ब्राह्मण, महान्नाह्मण,
महापात्र; -दादनीय- (सं. पुं.) प्रेत
कर्म का दान लेनेवाला महान्नाह्मण;
-द्ीप- (सं. पुं.) जो टापू सब से
पहिले जरू के बाहर निकल आया हो;
-घान्प- (सं. पुं.) वह अन्न जो पहिले
उत्पन्न हो, बाजरा; -नख- ( से. पुं. )
नख का अगला भाग; -नासिका- (सं.
स्त्री. नाक का अगला भाग; -निरू-
पण- (सं. पूं.) पूर्वेज्ान, भविष्यवाणी ;
“पर्णी- (सं.स्त्री. ) सतावर (औषधि ) ;
र्दे
-फरचात- (सं. पूं.) आगा-पीछा;
-पाणि-(सं. पुं.) हाथ का अगला
भाग, दाहिना. हाथ; -पुष्प-
(सं. पुं. ) जो फूल पहिले फूला हो, बंत का
वृक्ष; -पुजा- (सं. स्त्री.) पहिली
पूजा; -पेय-(सं. पूं.) जो पहले
पिया जावे; -साग-(सं.पुं.) शिखाग़,
चोटी, आगे का भाग, किनारा, छोर;
-मुकू-( सें. पुं. ) बिना देवता या
पितर को अर्पण किये स्वयं भोजन कर
लेना; (विं.). भुक्खड़, पेटू; -भू-
(सं. पुं.) जेठा भाई, ब्राह्मण; -भुमि-
(सं. स्त्री.) आगे की भूमि; -महिषी-
(सं. स्त्री.) अभिषेक की हुई प्रधान
रानी; -सांस-(सं. पं.) फुफ्फूस,
फेफड़ा; -मुख-(सं. पुं.) मुख का
अगला सांग; -यण- (सं. पुं.)
अगहन महीना; -याण, -यान-
(सं. पुं.) आगे जानेवाली सेना; अग्र-
यायी-(सं. वि.) भागे. जानेवाला,
अग्रगामी ; -योधा- (सं. पुं.) सेना के
आगे लड़लेवाला योद्धा; -लोहिता-
(सं. स्वी.) लाल दिखावाला पौधा,
चिलारी का साग; -वर्ती- (सं. पुं.)
भागे रहनेचाला, नेता, अगुवा ;-वाल-
(हिं- पुं.) अगरवाला, वैद्य बंद
की एक शाखा; -बीज- (सं. पुं.)
जो वृक्ष डाल लगाने से उत्पन्न हों;
-वीर- (सं. पुं.) सेना का प्रधान योद्धा ;
-न्नीहि- (सं. स्त्री.) क़षिफल का अन्न;
-दोची-(सं. पुं.) आगे से विचार कर
लेनेवाला, दुरदर्शी; -संध्या- ( सं.
स्त्री. ) सच्ध्या का अग्रभाग, तड़का;
-सर-(सं. वि.) आगे. चलनेवाला,
अग्रगामी, नेता, अयुआ; -सारण-
(सं. पुं.) आगे बढ़ता, निवेदनपत्र आदि
को बड़े अधिकारी के पास भेजना;
-सारा-(सं. स्त्री.) बिना फूल का
डंठल, पौघे की मंजरी; -सारित-
(सं.वि.) घड़े अधिकारी के पास प्रेषित;
-हार-(सें. पु.) खेत की उपज का वह
अन्न जो देवता या ब्राह्मण को अर्पण
करने के लिये अलग कर दिया जाय 1
अग्रह-(सं. पुं.) जिसने विवाह न किया
हो, वानश्रस्थ, संन्यासी ।
अग्रहायण-(सं. पूं.) हाथ का अगला
भाग, हाथी की सूँड का अग्रमाग, अगहन
सड्ीना !
अप्रॉदा- (सं. पुं.) अम्रभाग
अप्राशु- (सं. पुं.) प्रकाश की किरण का
अधायु
अन्त, केंद्रीय बिंदु ।
अग्राक्षि- (सं. पुं.) आँख का अगला भाग )
अग्राणीक- (सं. पुं. ) आगे जानेवाली सेना 1
अग्राम्य- (सं. पुं.) जंगली ।
अग्रादवन- (सं. पुं.) देवता को अपण करने
के लिए भोजन करने से पहिले रक्खा
हुआ रींघा हुआ अन्न ॥
अग्रासन- (सं: पं.) जो आसन ब्राह्मण को
पहिले बैठनें के लिए दिया जाय ।
अग्राह्म- (सं. वि.) न ग्रहण करने योग्य ।
अप्रिस- (सं. पुं.) आगे का, श्रेष्ठ, प्रधान ।
अप्रिमा- (सं. स्त्री.) शरीफा 1
अद्िय, अग्रीय- (सं. पुं.) बड़ा . भाई,
पहिला फल । हि
अघ- (सं. पं.) अघर्म, पाप, दुःख, दुर्घ-
टना, अपराध, व्यसन, निंदा, कंस का
सेनापति जो एक असुर था ।
अधघकत-(सं. वि.) पाप करनेवाला |
अघखानि-(हिं. स्त्री.) पाप का मंडार !
अघट-(हिं. वि.) . अयोग्य, भनुपयुक्त,
जो ठीक न हो, वे-ठीक +
अघटन- (सं. पुं.) न घटने की अवस्था ।
अघटित- (हिं. वि. ) न होनेवाला, असंभव ।
अघन-(सं. वि ) जो गाढ़ा न हो ।
अघनाशक- (सं. वि.) पाप को टुर करने-
वाला, पापनाशक ।
अघन्य-(सं. पुं.) वध न करने योग्य,
गाय, वृषभ, बादल, ब्रह्मा, प्रजापति ।
अघभोजी-(सं. पुं.) अयोग्य या अग्राह्य
भोजन करनेवाला ।
अघमय- (सं. वि.) पापपूर्ण ।
अघम्षण- ( सं. पुं. ) पाप नाश करने-
वाला मंत्र; (वि.) पापनाशक ।
अघमसं- (सं. पुं.) शीतकाल जिसमें शरीर
में पसीना न हो।
अधघवाना- (हिं. क्रि. स.) भोजन से संतुष्ट
करना, पेटसर खिलाना ।
अधघविष-(सं. पुं.) सर पे, साँप ।
अघहरण- (सं. पुं.) पाप की निचृत्ति |
अधघहार- (सं. पुं.) पवित्र पुरुष ।
अघाई- (हि. स्त्री.) चृप्ति, संतोष, पेट-
मर खाने की अवस्था |
| अघाद-(हिं. पूं.) जहाँ पर घाट न हो ।
मघाती-(हिं. वि.) जो घाती या घातक
न हो, अघातक 1
अघाना- (हिं-कि.अ.) प्रसन्न होना, इच्छा
पुर्ण होना, छकना, मन भर जाना, पेट
भरना, भोजन से तुप्त होना, उग्रत्तचा
अघाय- (सं. पुं., वि.) पाप करनेवाल्य,
पापी, दइृत्यारा ।
नल
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